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Inshallah Meaning in Hindi | इंशाअल्लाह का मतलब – अगर अल्लाह ने चाहा
इंशाअल्लाह का मतलब क्या होता है?
इंशाअल्लाह का मतलब होता है: ‘अगर अल्लाह ने चाहा’ तो।
जब कोई शख्स भविष्य में कोई कार्य करना चाहता है, या उसका इरादा करता है या भविष्य में कुछ होने की आशंका व्यक्त करता है या कोई वादा करता है या कोई शपथ लेता है तो इस शब्द का उपयोग करता है. ऐसा करने का हुक्म कुरान में है. इंशाल्लाह का मतलब होता है ‘अगर अल्लाह ने चाहा’।
कुरान में इंशाअल्लाह का जिक्र:
इंशा अल्लाह की अहमियत कितनी है यह बताने के लिए अल्लाह ताला ने कुरआन में कई जगह ज़िक्र किया जैसे:
1.) सूरह अल-कहफ़
[18:23] और किसी बात के विषय में यह न कहो कि मैं कल ऐसा-ऐसा करूँगा।
[18:24] परन्तु यह कि यदि अल्लाह चाहे तो! और जब भूल जाओ तो अपने रब को याद करो और कहो कि सम्भव है कि मेरा रब मुझे इससे भी निकट सत्य का मार्ग दिखा दे।
2.) सूरह अल-क़लम अध्याय
[68:17] हमने उनको वैसे ही आज़माया है जैसे हमने जन्नत वालों को आज़माया था, जब उन्होंने सुबह-सुबह बाग़ के फल तोड़ने की क़समें खाई थीं।
[68:18] बिना यह कहे कि “इन शा अल्लाह” (यदि अल्लाह चाहे)
[68:19] फिर तुम्हारे रब की ओर से उस बाग़ पर एक आग गुज़री और उसे जला दिया, जबकि वे सो रहे थे।
3.) सूरह अस-सफ्फात
[37:102] फिर जब वह उसके साथ चलने-फिरने लायक हो गया तो उस (इब्राहीम अलैहि सलाम) ने कहा, “ऐ मेरे बेटे! मैंने स्वप्न में देखा है कि मैं तुझे ज़बह कर रहा हूँ। तो देख, तू क्या सोचता है?” उसने कहा, “ऐ मेरे पिता! जो आदेश तुम्हें दिया गया है, वही करो। यदि अल्लाह चाहे तो तुम मुझे सब्र करनेवाला पाओगे।”
4.) सूरह बक़रा
[2:70] उन्होंने कहा, “अपने रब से प्रार्थना करो कि वह हमें स्पष्ट कर दे कि वह क्या है। हमारे लिए तो सभी गायें एक समान हैं। और यदि अल्लाह चाहेगा तो हम अवश्य मार्ग पा लेंगे।”
5.) अल-फतह
[48:27] निश्चय ही अल्लाह उस स्वप्न को पूर्ण करेगा जो उसने अपने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को दिखाया था। यदि अल्लाह चाहेगा तो तुम लोग मस्जिदे हराम में निश्चिन्त होकर प्रवेश करोगे। कुछ लोग अपने सिर मुँड़े हुए होंगे और कुछ लोग अपने सिर के बाल कटे हुए होंगे। उन्हें कोई भय नहीं होगा। वह जानता था जो तुम नहीं जानते थे। और उसने उससे पहले ही निकट विजय प्रदान कर दी थी।
6.) सूरा यूसुफ
[12:99] फिर जब वे यूसुफ़ के पास पहुँचे तो उसने अपने माता-पिता को अपने पास बुलाया और कहा, “अल्लाह चाहे तो मिस्र में निश्चिंत होकर प्रवेश करो।”
7.) सूरह अल-कहफ़
[18:69] मूसा ने कहा, “अल्लाह चाहे तो तुम मुझे धैर्यवान पाओगे और मैं किसी बात में तुम्हारी अवज्ञा नहीं करूँगा।”
8.) अल-क़सस
[28:27] उसने कहा, “मैं अपनी इन दो बेटियों में से एक का विवाह तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ, इस शर्त पर कि तुम आठ वर्ष तक मेरी सेवा करो। यदि तुम दस वर्ष पूरे कर लो तो यह तुम्हारी ओर से (एक उपकार) होगा। लेकिन मैं तुम्हें किसी कठिनाई में नहीं डालना चाहता। यदि अल्लाह चाहेगा तो तुम मुझे नेक लोगों में से पाओगे।”
Inshallah ka Upyog:
इंशाअल्लाह कब और क्यों कहते है?
जब कोई शख्स भविष्य में कोई कार्य करना चाहता है, या उसका इरादा करता है या भविष्य में कुछ होने की आशंका व्यक्त करता है या कोई वादा करता है या कोई शपथ लेता है तो इस शब्द का उपयोग कर के इंशाअल्लाह कहता है। अर्थात अल्लाह ने चाहा तो मैं फलाह फलाह काम कर दूंगा।
Benefits of Saying Inshallah:
- Dua and Humility: Jab hum Inshallah ka prayog karte hain, hum apne kaam ko Allah ki marzi ke hawale karte hain, aur yeh humein apne aap ko zyada humble banane mein madad karta hai.
- Faith and Trust: Iska istemal apni faith aur trust ko express karne ke liye bhi hota hai, ki hum apni planning ko Allah ke hukm par chhodein.
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