हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद नहीं होती है। जब फरिश्तों ने उन की पैदाइश की खुशखबरी दी, तो दोनों हैरत व तअज्जुब में पड़ गए। मगर फरिश्तों ने यकीन दिलाया और कहा : आप नाउम्मीद मत हों। चुनान्चे अल्लाह तआला के हुक्म से इस्हाक़ पैदा हुए। उसी साल हजरत इब्राहीम व इस्माईल ने बैतुल्लाह की तामीर फ़र्माई थी। यह हज़रत इस्माईल से चौदा साल छोटे थे।
60 साल की उम्र में हज़रत इब्राहीम ने अपने भतीजे की लड़की से उन की शादी कराई, उन से दो लड़के पैदा हुए, एक का नाम ईसू और दूसरे का नाम याकूब था।
ज़ियादा अमल की तमन्ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।” 📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 37 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 37 इस्लाम के फ़िदाकार मुबल्लिग़ अगरचे मुसलमान उहद में भी कुफ़्फ़ार को हरा चुके थे, मुश्रिक बद-हवास हो कर माल व अस्बाब और अपनी औरतों को छोड़ कर भाग खड़े हुए थे, मुसलमानों ने इन भगोड़ों का सामान लूटना शुरू कर दिया था, लेकिन उहद की घाटी में जो दस्ता अब्दुल्लाह बिन जुबैर की सरबराही में लगाया गया था, कुफ्फ़ार को हार कर भागते देख कर और मुसलमानों के साथ वह दस्ता भी पीछा करने में दौड़ पड़ा था। खालिद ने जब उस घाटी को खाली देखा, तो वह इस तरफ़ से हमलावर हो…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 36 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 36 सैयदु शुहदा हज़रत अमीर हमजा की लाश जब मुसलमान दुश्मनों के घेरे में आ गये थे और कुफ्फार ने उन्हें हर तरफ़ से घेर लिया था, हर जगह निहायत खंरेज लड़ाई हो रही थी, उस वक्त कुफ्फारे करैश की औरतें मुसलमान शहीदों के नाक-कान काटती फिर रही थीं, गोया इस तरह वे अपनी नफ़रत का इजहार कर के बदला ले रही थीं। पेज: 312 हिंदा, अबू सुफ़ियान की बीवी को वहशी ने बता दिया था कि उसने अपने हरबे से हज़रत अमीर हमजा को शहीद कर दिया है। हिंदा ने अपने तमाम जेवर…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 23 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 23 कत्ल का मंसूबा वतन और घर-बार छोड़ना आसान नहीं होता, फिर ऐसी हालत में कि जो कुछ पूंजी हो, दिन दहाडे लूट ली जाए, बच्चे छीन लिए जाएं, बीवी जबरदस्ती जुदा कर दी जाये। मुसलमानों की हिजरत सच तो यह है कि बड़ी हिम्मत का काम ही था। धीरे-धीरे तमाम मुसलमान मक्का से यसरब को हिजरत कर चूके थे, सिर्फ बूढ़े और कमजोर मुसलमान ही बाकी रह गये थे या हुजूर (ﷺ) अबू बक्र सिद्दीक़ और हजरत अली (र.अ) बाकी रह गये थे। जब तमाम मुसलमान यसरब पहुंच गये, तो कुफ्फ़ारे मक्का की…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 40 ✦ बनू नज़ीर की लड़ाई ✦ नबी (ﷺ) और सहाबा के क़त्ल की साजिश ✦ आमिर बिन तुफ़ैल के कहने से बनू सलीम ने सत्तर मुसलमानों को बेगुनाह नमाज पढ़ते हुए बड़ी बेदर्दी से शहीद कर दिया था ...
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 7 https://www.youtube.com/watch?v=7t0bz3Hpe1k Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 7 पेज: 59 हजरत उमर रजि० के बांदी का इबरतनाक सब्र हजरत उमर (अभी इस्लाम नहीं लाये थे) बड़े बहादुर और बहुत सख्त थे। आप की बहादुरी कहावत बन गयी थी। तमाम कबीले आप की बहादुरी के कायल थे। आप को मालूम हो चुका था कि आप की बांदी लुबनिया मुसलमान हो गयी। आप ने गुस्से में पूछा, बदबख्त बांदी ! किस लालच ने तुझे मुस्लमान होने पर मजबूर कर दिया। आप उस मुस्लिमा को बाल पकड कर खींचते हुए बाहर लाये। लुबनिया पहले तो डरी, घबरा गयीं, पर जब उमर ने उन…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 6 https://www.youtube.com/watch?v=Y0mW_-azMU4 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 6 पेज: 52 मुसलमानो के खिलाफ मज्लिसे शूरा जब तक हुजूर सल्ल० तन्हा रहे, उस वक्त तक न तो मक्का के कुफ्फार को कोई चिन्ता हुई और न घबराहट, बल्कि वे हुजूर सल्ल० की बातों का मजाक उड़ाते रहे, समझते रहे कि दो चार दिन तब्लीग़ करने के बाद खुद ही खामोश हो जाएंगे, लेकिन जब सुना कि आप सल्ल० की तब्लीग से बहुत से अरब मुसलमान हो चुके हैं, तो डरे, चिन्ता बढ़ने लगी और हुजूर सल्ल० के खिलाफ़ एक आम जोश पैदा हो गया। इस बीच हुजूर सल्ल० पर वह्य नाजिल…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 15 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 15 पेज: 125 मेराज का सफर मुसलमान सन ०७ नबवी में शोबे अबी तालिब में कैद कर दिए गए थे। सन् १० नबवी में बाईकाट खत्म हुआ। पूरे तीन साल दर्रे में पड़े रहे। ये साल जिस सख्ती, जिस मुसीबत और जिन तक्लीकों से मुसलमानों ने गुजारे, उन का सौवां हिस्सा भी बयान करना इस जमाने के मुसलमानों के दिलों को हिला देने के लिए काफ़ी है। सन १० नबवी में जब बाईकाट खत्म हुआ और मुसलमान अपने घरों में वापस आए, तो ख्याल होता था कि शायद कुरैश की बेजा सख्तियों और नामुनासिब…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 33 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 33 पेज: 282 कुरैश की भारी फौज जब बद्र में मक्का वालों को हार का मुंह देखना पड़ा और उसकी खबर मक्का पहुंची, तो तमाम शहर में उदासी की घटा छा गयी। हर औरत, हर बच्चा, हर मर्द दुखी और परेशान नजर जाने लगा। पहले तो मक्के वालों को यकीन नहीं आ रहा था कि उन की फौज हार गयी है। वे समझ रहे थे कि मुसलमानों ने यह बे-पर की अफवा उड़ा दी है, लेकिन जब बद्र से भागे हुए फ़ौजी मक्का पहुंचे और उन्हों ने पूरी बात बतायी, तो मक्का वालों का…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 10 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 10 पेज: 83 नजाशी का दरबार सुबह के वक़्त मक्का के कुफ्फार को मालूम हुआ कि कुछ मुसलमान हिजरत कर के हब्शा की ओर चले गये हैं। यह एक नयी बात थी। इस से मक्का के काफ़िरों में हलचल मच गयी। उन्हें ख्याल हुआ कि मुसलमान हब्शा में जा कर हमारे माबूदों की बुराइयां बयान करेंगे। इस से उन के मजहब की बेहद तौहीन होगी, वे सब लोग एक जगह जमा हुए और अगले प्रोग्राम पर मश्विरा करना शुरू किया। तै हुआ कि साठ-सत्तर बहादुर जवानों को मुहाजिरों का पीछा करने के लिए रवाना…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 47 ✦ एहसान भुला देने का अंजाम, ✦ उऐना की दगाबाजी और गफारी औरत को अगवा करना, ✦ सुलह हुदैबियाँ , ✦ बैअते रिज्वान ...
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 45 ✦ खंदक की लड़ाई, खंदक़ खोदने का मशविरा, अल्लाह की मदद, क़बीला बनु नजीर के यहूदी देश से निकाले जाने पर कुछ तो मुल्क शाम चले गये थे और ...
अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया Highlights • अल्लाह तआला की सृष्टि: अल्लाह ने सबसे पहले क़लम को पैदा किया और उसे पूरी काइनात की तक़दीर लिखने का हुक्म दिया। • तक़दीर की तहरीर: क़लम ने क़यामत तक होने वाली तमाम घटनाओं को अल्लाह के हुक्म से पहले ही लिख दिया। • अल्लाह की अजीम कुदरत: अल्लाह ने मख्लूक़ की तक़दीर को ज़मीन और आसमान की पैदाइश से 50,000 साल पहले तय किया। अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज़ को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी। कुरअने पाक में अल्लाह…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 11 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 11 पेज: 93 हज़रत अमीर हमज़ा इस्लाम की गोद में इस इन्तिजाम के बाद उन्हों ने उन मुसलमानों पर जो मक्के में रह गये थे और रसूल सल्ल. की मुहब्बत की वजह से हिजरत न कर सकते थे, इतनी सख्तियां शुरू कर दी कि उन्हें जिंदगी से मौत कहीं अच्छी नजर आने लगी। मक्का के काफिरों ने यह कोशिश की कि मुसलमानों को खाने-पीने का सामान न मिल सके, इसलिए दुकानदारों को हिदायत कर दी कि कोई चीज किसी मुसलमान के हाथ किसी कीमत पर हरगिज न बेचें और बाक़ी पर भी पहरा बिठाया…
MD. Salim Shaikh
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