हजरत मूसा (अ.) के बाद बनी इस्राईल में अम्बियाए किराम का सिलसिला एक लम्बी मुद्दत तक चलता रहा, उन्हीं में से हज़रत हिज्कील (अ.) भी हैं। उन के वालिद का बचपन ही में इन्तेकाल हो गया था।
नुबुवत के बाद एक जमाने तक वह बनी इस्राईल की रहनुमाई करते रहे और हक़ की राह दिखाते रहे। हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) और दीगर सहाब-ए-किराम से रिवायत है के बनी इस्राईल की एक बड़ी जमात से हजरत हिज्कील ने एक कौम से जंग करने का हुक्म दिया, तो पूरी जमात मौत के डर से भागकर एक वादी में आबाद हो गई और यह समझने लगी के अब हम मौत से महफूज हो गए हैं।
अल्लाह तआला ने उनके इस ग़लत अक़ीदे की इस्लाह के लिये उनपर मौत तारी कर दी। एक हफ्ते के बाद जब उधर से हजरत हिजकील (अ.) का गुज़र हुआ, तो उन की हालत पर अफसोस करते हुए अल्लाह तआला से दोबारा जिन्दगी अता करने की दुआ फर्माई।
अल्लाह तआला ने दुआ कबूल फ़रमाई और उनको दोबारा जिन्दा कर दिया, ताके उन की जिन्दगी दूसरों के लिये इबरत व नसीहत का बाइस बने। कुरआने करीम में भी इस वाकिए का तज़केरा किया गया है।