हर नमाज़ के लिये वुजू करना हजरत अनस (र.अ) बयान करते हैं के, आप (ﷺ) की आदते शरीफा थी, के बा वुजू होने के बावजूद हर नमाज के लिये ताज़ा वुजू फरमाते और हम लोग कई नमाजें एक ही वुजू से पढ़ते थे। 📕 अबू दाऊद : १७१
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे: हदीस Bura Khwab Dekhne Par Kya Karna Chahiye हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।" 📕 मुस्लिम, हदीस 5904
नजर लगने से हिफाजत माशा अल्लाह की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जिस शख्स ने कोई ऐसी चीज़ देखी जो उसे पसंद आ गई, फ़िर उस ने (माशा अल्लाह ! व लाहौल वला क़ूवता इल्लाह बिल्लाही) कह लिया, तो उस की नज़र से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।” 📕 कंजुल उम्मुल : १७६६६, अनस (र.अ) तर्जुमा : जो कुछ अल्लाह चाहता है [होता है] और अल्लाह के अलावा कोई ताकत नहीं है।
पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं “आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।” 📕 तिर्मिजी: २३८०
हाथ से ख़ुश्बू निकलना ۞ हदीस: हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) फर्माती हैं के, जिस दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) की वफात हुई, उस दिन मैंने हुजूर (ﷺ) के सीन-ए-मुबारक पर हाथ रखा था, उस के बाद एक जमाना गुजर गया, मैं उस हाथ से खाती रही और उस को धोती रही, लेकिन मेरे उस हाथ से मुश्क की खुश्बू ख़त्म नहीं हुई। 📕 बैहकी की दलाइलिन्नुबुव्वह : ३१५१
पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो हदीस: अब्दुल्ला इब्न अब्बास (र.) से रिवायत है के,अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फरमाया: “पांच (5) चीज़ों को पांच (5) चीज़ों से पहले घनीमत समझो। (1). अपनी जवानी को बुढ़ापे से पहले,(2). अपनी सेहत को बीमारी से पहले,(3). अपनी मालदारी को गुरबत (गरीबी) से पहले,(4). अपनी फरागत को मसरुफियत से पहले,(5). अपनी जिंदगी को मौत से पहले। 📕 शुआब अल-ईमान, हदीस 9575
शहीद कौन कौन लोग हैं रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।" 📕 बुखारी: ६५३ अन अबी हुरैरा (र.अ)
माल की चाहत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिस में (लोगों को अपने) माल की ज़कात देना बहुत भारी गुज़रेगा।" 📕 मोअजमे कबीर: १३७०८, अन अदी बिन हातिम (र.अ)
अल्लाह का ज़िक्र करने वाला जिन्दा है, और न करने वाला मुर्दा रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स अपने रब का जिक्र करे और जो अल्लाह का जिक्र न करे। उसकी मिसाल जिन्दा और मुर्दे की तरह है (यानी जिक्र करने वाला जिन्दा है और जिक्र न करने वाला मुर्दे की तरह है)।” 📕 बुखारी: ६४०७, अन अबी मूसा (र.अ)
मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “एक जमाना ऐसा आएगा के लोग मस्जिद में हलके लगाकर दुनियावी बातें करेंगे, तुमको चाहिये के उन लोगों के पास बिल्कुल न बैठो, अल्लाह को उन लोगों से कोई वास्ता नहीं।" 📕 मुस्तदरक : ७९१६
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।" अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है? फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।” 📕 मुस्लिम : २६३
किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें" पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा? इर्शाद फ़रमाया : “वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।” 📕 बुखारी : ५९७३
किसी मंजिल से चलते वक़्त नमाज़ पढ़ना हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के: “रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी जगह कयाम करते और फिर वहाँ से चलते तो दो रकात नमाज जरूर पढ़ते।” 📕 सुनन कुबरा लिल बैहकी: २५३/५
Kunde ki Niyaz : कुंडे के नियाज़ की हकीकत (रजब के कुंडे) Kunde ki Niyaz: कुंडे की नियाज़ की हकीकत 22 रज्जब को बर्रे सगीर (हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश) में एक दिन मनाया जाता है, जिसे हम “ कुंडे की नियाज ” या “ कुंडे की ईद ” के नाम से जानते हैं। तो बेहरहाल आईये इसकी शराई हकीकत क्या है जानने की कोशिश करते हैं। दरहकीकत कुंडे के ईद की शरीयत में कोई असल या बुनियाद मौजूद नहीं है, इस तालुक से इमाम जाफर सादिक (रहमतुल्लाहि अलैहि) का वाकिया बयान किया जाता है के इन्हे मनसुब या इन्ही के इसाले सवाब के लिए नजरो नियाज इस दिन किया जाता है। आईये अब गौर करते हैं इसकी हकीकत क्या…
MD. Salim Shaikh
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