हज़रात अली (र.अ) से रिवायत है, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस के पास सवारी और तोशे का इतना इन्तेजाम हो जिस से वह ब आसानी बैतुल्लाह शरीफ पहुँच सकता हो, फिर भी हज न करे, तो कोई फ़र्क नहीं है के वह यहूदी हो कर या नसरानी हो कर मरे।”
हज़रात अली (र.अ) से रिवायत है, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस के पास सवारी और तोशे का इतना इन्तेजाम हो जिस से वह ब आसानी बैतुल्लाह शरीफ पहुँच सकता हो, फिर भी हज न करे, तो कोई फ़र्क नहीं है के वह यहूदी हो कर या नसरानी हो कर मरे।”