हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।" 📕 सूरह अहज़ाब : ४० वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है, जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे। 📕 सूरह साद : २९
फसाद फैलाने की सज़ा कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।" 📕 सूरह मायदा: ३३
कुरआन मार्गदर्शक है ... कुरआन मार्गदर्शक है “वास्तव में, ये कुरआन वह मार्ग दिखाता है, जो सबसे सीधी है…” 📕 कुरआन 17:9
जमीन का अजीब फर्श अल्लाह तआला फर्माता है : "हम ने जमीन को फर्श बनाया और हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।" जरा गौर कीजिये, अल्लाह तआला ने ज़मीन का कैसा अच्छा बिस्तर बिछाया है जिस पर हम आराम करते हैं, इस बिस्तर के बगैर हमारे लिये रहना दुश्वार था। फिर हमारे लिये ज़िंदगी की तमाम जरुरियात खाने पीने, अनाज, ग़ल्ले और मेवे के लिये जमीन को ख़ज़ाना बनाया, फिर सदी, गर्मी से हिफाजत भी जमीन पर रह कर कर सकते हैं और बदबूदार चीजें और मुरदार जिन की बदबू से हम को सख्त तकलीफ होती है ऐसी चीजों को हम जमीन में दफन…
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।” 📕 तबरानी कबीर : १३१५३
बातिल परस्तों के लिये सख्त अज़ाब है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जो लोग खुदा के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मक़बूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नजदीक बातिल है, उनपर खुदा का ग़ज़ब है और सख्त अजाब (नाज़िल होने वाला है)।" 📕 सूरह शूरा :१६
बदन की हड्डी कुदरत की निशानी Highlights • हड्डियों की अद्भुत संरचना: करीब २४८ हड्डियाँ जिनकी संरचना अलग-अलग रूपों में है और ये शरीर के ढांचे को मजबूत करती हैं।• कुदरत की योजना: अल्लाह की कुदरत से हड्डियाँ न केवल शरीर को खड़ा रखने में मदद करती हैं, बल्कि हर हड्डी का अपना विशेष कार्य है।• अल्लाह की कारीगरी: इंसान के शरीर में इस तरह की विविधता और सही संरचना केवल अल्लाह की असीम कुदरत से ही संभव है। उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है। उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म…
जानवरों की जकात अदा ना करने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कसम खा कर फर्माया : "जिस के पास ऊंट, गाय या बकरा हो और वह उस का हक़ अदा न करता हो, तो क़यामत के दिन उन जान्वरों में से सबसे बड़े और मोटे को लाया जाएगा, जो अपनी खुरों से उस को रौंदेगा और सींग मारेगा,जब जब भी आखरी जानवर गुज़र जाएगा, तो पहेले जानवर को लाया जाएगा, ( यह सिलसिला उस वक्त तक चलता रहेगा), जब तक के लोगों का हिसाब (न) हो जाए।" 📕 बुखारी, हदीस: १४६०, अन अबी जर (र.अ) वजाहत: जिस तरह सोने, चांदी, और दूसरी चीज़ों में ज़कात फ़र्ज है. इसी तरह जान्वरों…
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल) हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं : (शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था, फिर यह आयत नाजिल हुई: तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)। फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया। 📕 तिर्मिज़ी : ४०५ फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
बुराई से न रोकने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।" 📕 सूरह हूद: ११६ खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
गैरुल्लाह को माबूद बनाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "उन लोगों ने अल्लाह तआला को छोड़ कर और माबूद बना लिये हैं, इस उम्मीद पर के उन की मदद कर दी जाएगी। वह उन की कुछ मदद कर ही नहीं सकते; बल्के वह उन लोगों के हक़ में फरीके मुखालिफ बन कर हाजिर किये जाएँगे।” 📕 सूरह यासीन: ७४ ता ७५
सूरह इख्लास तिहाई कुरआन के बराबर है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “क्या तुम में से कोई यह नहीं कर सकता के एक रात में तिहाई कुरआन पढ़ ले ?” सहाब-ए-किराम ने अर्ज किया: भला कोई कैसे तिहाई कुरआन पढ़ लेगा? आपने फर्माया: – सूरह इखलास तिहाई कुरआन के बराबर है।” 📕 मुस्लिम: १८८६, अन अबी दरदा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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