हज़रत अनस की वालिदा ने सरकारे दो आलम (ﷺ) की खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज किया: मुझे कुछ वसिय्यत फर्माइये।
आप (ﷺ) ने इर्शाद फ़ाया :
“गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है, फ़राइज़ की हिफ़ाज़त करना बेहतरीन जिहाद है और ज़िक्रे इलाही ब कसरत करती रहो, इस लिए के तुम अल्लाह के यहाँ इस से जियादा महबूब चीज़ लेकर नहीं आ सकती हो।”
सिरका के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।" 📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि० फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
इस्लाम की बुनियाद 5 चीज़ों पर है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : इस्लाम की बुनियाद पांच चीज़ों पर है : (१) इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा कोई माबूद नहीं और मोहम्मद (ﷺ) अल्लाह के रसूल है। (२) नमाज़ अदा करना। (३) ज़कात देना। (४) हज करना। (५) रमज़ान के रोजे रखना। 📕 बुखारी: ८, अन इने उमर (र.अ)
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।" 📕 सूरह ताहा: १३२
किसी मंजिल से चलते वक़्त नमाज़ पढ़ना हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के: “रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी जगह कयाम करते और फिर वहाँ से चलते तो दो रकात नमाज जरूर पढ़ते।” 📕 सुनन कुबरा लिल बैहकी: २५३/५
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
बिमारियों का इलाज हज़रत अनस (र.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा: ऐ अबू हम्जा (यह हजरत अनस (र.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ है, यानी मैं बीमार हूँ, तो हजरत अनस (र.अ) ने फ़रमाया: क्या मैं ! तुम को उस दुआ से दम न कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा :जी हाँ जरूर , तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी: तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता…
बीवी को उस का महर देना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।" 📕 सूरह निसा: ४
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।" 📕 तबरानी औसत : २५०, अन हुजैफा (र.अ)
तीन साँस में पानी पीना हजरत अनस (ﷺ(र.अ) (पीने के वक्त) दो या तीन साँस लेते और फ़रमाते के रसूलुल्लाह (ﷺ) भी तीन मर्तबा साँस लेते थे। 📕 बुखारी: ५६३१
हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा हजरत अनस (र.अ) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: “हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा। “ [ बुखारी #हदीस 7068 ]
पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।" 📕 तिर्मिज़ी : १९४४
MD. Salim Shaikh
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