इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है। ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।" 📕 बुखारी : १४४२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
गम के वक्त यह दुआ पढ़े रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا ( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha ) तर्जमा : हम सब अल्लाह की मिलकियत में हैं और उसी की तरफ जाने वाले हैं, या अल्लाह ! तू मुझे मेरी इस मुसीबत में सवाब दे और मुझे इससे बेहतर बदला इनायत फ़र्मा। 📕 मुस्लिम २१२६
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।" 📕 निसाई : १७८८
कयामत के दिन के सवालात अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) से रिवायत है के,रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए। (1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया। (2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया। (3) माल कहाँ से कमाया (4) कहाँ खर्च किया। (5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया। 📕 तिर्मिजी, हदीस: 2416
अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: “तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो, अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो और खुलूस से काम किया करो, क्योंकि अल्लाह तआला! अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।” 📕 सूरह बकरह: १९५
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
कर्ज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़र्ज़ की अदायगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।" 📕 बुखारी : २४००, अन अबू हुरैरह (र.अ) फायदा: अगर किसी ने कर्ज़ ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज, अदा करना ज़रूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
बेवा या तलाकशुदा बेटी की कफालत की फजीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक मर्तबा फ़रमाया - "क्या मैं तुम्हें बेहतरीन सदक़ा न बताऊं? तेरी वह लड़की जो लौट कर तेरे ही पास आ गई हो और उसके लिये तेरे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जाएगा वह बेहतरीन सदक़ा है।)" 📕 इब्ने माजा : ३६६७, अन सुराका दिन मालिक रज़ि०
अल्लाह की राह में खर्च करे ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।” 📕 सूरह हदीद : १०
बदन की हड्डी कुदरत की निशानी Highlights • हड्डियों की अद्भुत संरचना: करीब २४८ हड्डियाँ जिनकी संरचना अलग-अलग रूपों में है और ये शरीर के ढांचे को मजबूत करती हैं।• कुदरत की योजना: अल्लाह की कुदरत से हड्डियाँ न केवल शरीर को खड़ा रखने में मदद करती हैं, बल्कि हर हड्डी का अपना विशेष कार्य है।• अल्लाह की कारीगरी: इंसान के शरीर में इस तरह की विविधता और सही संरचना केवल अल्लाह की असीम कुदरत से ही संभव है। उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है। उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म…
क़यामत से पहले माल का ज़ियादा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया : "उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।" 📕 मुस्लिम: २३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
घर से वुजू कर के मस्जिद जाने का सवाब रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जब तुम में से कोई घर से वुजू कर के मस्जिद आए, तो घर लौटने तक उसे नमाज का सवाब मिलता रहेगा।" 📕 मुस्तदरक : ७४४
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७