एक आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज़ किया:
“या रसूलल्लाह ! अगर मैं इस बात की शहादत दू के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और आप अल्लाह के सच्चे रसूल है और पाँच वक्त की नमाज पढ़ता रहूँ और जकात देता रहु और रमज़ान के रोज़े रखा करूँ और उस की रातों में इबादत किया करूं तो मेरा शुमार किन लोगों में होगा?
आप (ﷺ) ने फ़रमाया: तम्हारा शुमार सिद्दिक़ीन और शोहदा में होगा।”