“दुनिया का सामान कुछ ही दिन रहने वाला हैऔर उस शख्स के लिये आखिरत हर तरह से बेहतर है,जो अल्लाह तआला से डरता होऔर (कयामत) में तुम पर ज़र्रा बराबर भी जुल्म न किया जाएगा।”
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।" खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है। 📕 मुस्तदरक : ७९१७
हर महीने के तीन दिन रोजे रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "हर महीने तीन दिन के रोजे रखना उम्र भर रोजा रखने जैसा है।" 📕 नसाई : २४१०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
इंसाफ करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है। ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।" 📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।" 📕 सूरह अन्फाल: ६७ फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे | Roze ki Halat me bhi Jhoot aur Dagabazi se bachey Hadees of the Day रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे ۞ हदीस: अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है की,रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया - "अगर कोई शक्श (रोजा रख कर भी) झूठ बोलना और दगाबाजी करना ना छोड़े तो अल्लाह सुभानहु ताला को उसकी कोई जरूरत नहीं कि वो अपना खाना पीना छोड़ दे।" 📕 सहिह बुखारी, खंड 3, हदीस 1903
बदन की हड्डी कुदरत की निशानी Highlights • हड्डियों की अद्भुत संरचना: करीब २४८ हड्डियाँ जिनकी संरचना अलग-अलग रूपों में है और ये शरीर के ढांचे को मजबूत करती हैं।• कुदरत की योजना: अल्लाह की कुदरत से हड्डियाँ न केवल शरीर को खड़ा रखने में मदद करती हैं, बल्कि हर हड्डी का अपना विशेष कार्य है।• अल्लाह की कारीगरी: इंसान के शरीर में इस तरह की विविधता और सही संरचना केवल अल्लाह की असीम कुदरत से ही संभव है। उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है। उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म…
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।" 📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
कोसे कज़ह (Rainbow) में अल्लाह की कुदरत Highlights • बारिश और धूप का मिलाज: हल्की धूप और बारिश से आसमान पर सात रंगों वाली क़ौसे कज़ह (कमान) का दृश्य बनता है।• आसमान की खूबसूरती: यह रंगीन कमान आसमान की सुंदरता में इज़ाफ़ा करती है, जो मानव को चमत्कृत कर देती है।• प्राकृतिक चमत्कार: यह शानदार दृश्य बिना किसी पेंटिंग के चंद मिनटों में तैयार होता है।• अल्लाह की कुदरत: यह अल्लाह की अद्भुत कुदरत का परिणाम है, जो अपनी मर्ज़ी से प्रकृति का यह अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करती है।• आध्यात्मिक सोच: यह प्राकृतिक दृश्य इंसान को सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसी खूबसूरती का निर्माण किसने…
जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।” 📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)
सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।" 📕 इब्ने माजा : २२४६, अन उकबा बिन आमिर (र.अ)
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।” 📕 सूरह निसा 134
दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनिया की ज़िन्दगी खेलकूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिन्दगी ही हकीकी जिन्दगी है, काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।" 📕 सूरह अनकबूत : ६४ कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता: “यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी…
MD. Salim Shaikh
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