नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे। 📕 तिर्मिज़ी: ३४८३
हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद नहीं होती है। जब फरिश्तों ने उन की पैदाइश की खुशखबरी दी, तो दोनों हैरत व तअज्जुब में पड़ गए। मगर फरिश्तों ने यकीन दिलाया और कहा : आप नाउम्मीद मत हों। चुनान्चे अल्लाह तआला के हुक्म से इस्हाक़ पैदा हुए। उसी साल हजरत इब्राहीम व इस्माईल ने बैतुल्लाह की…
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी : तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा। 📕 तिर्मिजी : ९७८
हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा हजरत अनस (र.अ) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: “हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा। “ [ बुखारी #हदीस 7068 ]
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल) हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं : (शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था, फिर यह आयत नाजिल हुई: तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)। फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया। 📕 तिर्मिज़ी : ४०५ फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है? हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)। 📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
बीमार को परहेज़ का हुक्म एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।” 📕 अबू दाऊद: ३८५६ फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
वरम (सूजन) का इलाज हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया, तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई। اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा। 📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।" 📕 निसाई : १७८८
हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।" 📕 सूरह अहज़ाब : ४० वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।
खुजली का इलाज हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के : रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।" 📕 बुखारी: ५८३९ फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।" 📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ? तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है। 📕 शोअबुल ईमान: १०२४४
दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ "Allahumma adhhib 'anhu su'a ma yajidu, wa shfihi bidawaa'i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki 'indak." चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया। 📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१