आज फलस्तीन और इस्राईल के दरमियान जो हालात है, जिस हालात से उम्मते मुस्लिमा आज गुजर रही है, आखिर क्या वजह है के ज़ालिम हुकुमराह हमपर मुसल्लत है ? आईये इसके ताल्लुक से हमसे पिछली उम्मत यानी बनी इस्राईल की हलाकत की मिसाल पर गौर करते है।
बनी इस्राईल पर अल्लाह के अज़ाब का पहला वादा:
बनी इस्राईल हमसे पहले अल्लाह की चुनिंदा कौम थी, अल्लाह ने इनमे अम्बिया (अलेही सलाम) भेजे, और इन्हें दीगर कौमो की इमामत का जिम्मा दिया, लेकिन इस कौम ने गुनाह और मासियत किये, रब को नाराज़ किया, शिर्क किया, अल्लाह के दिन में बिद्दते इजाद किये और सबसे बड़ा जुर्म ये कर बैठे के अल्लाह के भेजे अम्बिया (अलैहि सलातो सलाम) के क़त्ल को भी अपनी जिंदगी का शाआर बना बैठे।
फिर अल्लाह का अजाब इनपर यकीनी हुआ जिसके ताल्लुक से अल्लाह ने कुरान में फ़रमाया:
और जब पहले वादे का वक्त पूरा हो गया तो हमने ऐसे लड़ाकू बन्दे तुमपर हावी कर दिए जो बोहोत मजबूत थे लडाई में और ऐसे तुमसे लढे के तुम्हारे घरो में जा घुसे”
अल-कुरान १७:०५
इस आयत में पहले वादे से मुराद मुफस्सरिन लिखते है के यह “बूख्तनसर” बादशाह का ज़माना था, जब यहूदियों को अल्लाह ने दुनिया की इमामत के लिए चुना तो इन्होने अल्लाह की नाराज़गी वाले काम किये और दानियल (अलेही सलाम) जैसे नबी को तकलीफ पोह्चायी।
तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने अपने पहले वादे को इनके खिलाफ पूरा किया और बख्तनसर के जरये यहू*दियों को ज़लील कर इनको अपने मुल्क फलेस्तीन से निकालकर वो अपने साथ गुलाम बनाकर इराक ले गया।
दूसरा वादा:
बख्तनसर की कैद से कई सालो बाद ये आज़ाद होकर वापस आये लेकिन अल्लाह को पता था के ये लोग अपनी मासियत (हथधर्मी) से बाज़ नहीं आने वाले, तो अल्लाह ने इनपर दुबारा अपना गज़ब ढाया जिसके ताल्लुक से अल्लाह ताला ने कुरान में आगे फ़रमाया –
“और जब दूसरा वादा हमारा पूरा हुआ”
अल-कुरान १७:७
दुसरे वादे से मुराद जब यहू*दियों को अल्लाह ने बख्तनसर की क़ैद से आज़ादी दे दी, लेकिन फिर भी ये अपनी मासियत से ताईब न हुए और इन्होने वही सुलूक किया यानी अल्लाह के एक और नबी ईसा (अलैहि सलातो सलाम) के क़त्ल का मंसूबा किया।
अल्लाह ने उस मनसूबे में इनको नाकाम किया, ईसा (अलैहि सलाम) को दुनिया से उठा लिया और आपके जाने के ७० साल बाद अल्लाह ने यूनान के बादशाह “टाइटस” के हाथो बनी इस्राईल पर ऐसा कहर ढाया के इन्हें कम-से-कम १९०० साल के लिए फलेस्थिन की सरज़मीन से हकाल दिया।
टाइटस ने बनी इस्राईल पर इस शदीद तरह से हमला किया के ये कौम १९२४ तक कही बस न सकी, पूरी दुनिया में १९०० साल तक भटकते रहे, जिसको आज भी “The Jewish Diaspora” के नाम से जाना जाता है।
यानी अल्लाह ने इन्हें पूरी दुनिया में जलील और रुसवा किया, ये कौम ज़िल्लत की जिंदगी जीती रही, के यूरोप के अंदर इनके अलग इलाके हुआ करते थे जिसे “Ghettos” कहा जाता, मतलब जानवरों के रखने की जगह यहूदी रखे जाते थे।
लेकिन इनका शर्र्र और फितना ऐसा ही है के – इस कौम ने कभी अल्लाह की नाफ़रमानी से तौबा नहीं की, तो अल्लाह ने इनको क़यामत तक हमारे लिए इबरत बना दिया और वादा कर के कुरान में फ़रमाया –
और वो वक्त याद करो जबकि तुम्हारे रब ने इस चीज़ को तय कर दिया बनी इस्रायील के लिए के क़यामत तक मैं तुमपर जालीम और जाबिर हुकुमरानो को मुसल्लत करता रहूँगा”
अल कुरान ७:१६७
और अल्लाह की उस मार और फटकार का नतीजा हम हर सदी में देख ही रहे है के यहू*दियों को क्या मिला है?
हर सदी में ज़लील और रुसवा हुए, जानवरों के साथ रखे गए, पिछली सदी में हिटलर ने इन्हें लाखो की तादाद में अजीयत दे-देकर मारा। 🥺
और आज भी जिस तरह से ये लोग इंसानियत पर ज़ुल्मो सितम कर रहे है गोया के ये ‘लो’ तेजी से फड़क रही है और इंशाल्लाह ये अपने बुझने की और हमे ताईद कर रही है।
मुसलमानो के लिए इबरत
याद रहे के: किसी की भी हलाकत (नुकसान) हमारे लिए खुशियों का सबब नहीं है, बल्कि हमे चाहिए के इनकी हलाकत से इबरत हासिल करे, “अगला गिरा तो पिछले को चाहिए के वो संभल जाये”
वरना कही ऐसा न हो के अगर हमने भी अपने गुनाह-व-मासियत और अपने अमल के इस्लाह की गौरो फ़िक्र न की तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के लिए कोई बईद (नामुमकिन) नहीं के वैसे ही फैसले अल्लाह हमारे हक में कर दे। (अल्लाह रहम करे हम पर)
और आज हम जिस हालत से गुजर रहे है जिसका नतीजा हमारे बुरे आमल है याद रखिये ,
– आज भाई भाई को क़त्ल कर रहा है ,
– मुसलमान मुल्क दुसरे मुसलमान मुल्क को क़त्ल कर रहे है ,
– मुसलमान आपस में एक दुसरे को गिरोहबंदी और फिर्काबंदी के नाम पर क़त्ल कर रहे है ,
– जमातो और तंजीमो के नाम पर एक दुसरे को क़त्ल किया जा रहा है,
और इस से ज्यादा अफ़सोस के साथ हम क्या कहे के “एक जमात में भी दो लोग आपस में तीसरे के खिलाफ चाले चल रहे है”
इतने हम गिर चुके है। अल्लाह रहम करे।
और फिर जब अल्लाह का अजाब आता है तौ हम परेशान होते है के कौमे क्यों हमपर मुसल्लत हो रही है।
याद रहे “आज हमारी शिकस्त की सबसे अहम् वजह अल्लाह की नाफ़रमानी है” अल्लाह की नाजिल करदा हिदायत और रसूलल्लाह (सलाल्लाहो अलैही वसल्लम) की सुन्नत की मुखालिफत यही सबसे अहम् वजह है हमारी जिल्लत और रुसवाई की।
तो बहरहाल अगर हम चाहते है के अल्लाह हमपर रहम करे, उसका करम हमपर हो तो हमे चाहिए के अल्लाह और उसके रसूल (सलल्लाहो अलैही वसल्लम) की तालीमात पर हम जम जाये और अपने दोस्त-अहबाब और दुसरो को भी उसकी दावत दे।
इंशा अल्लाह-उल-अज़ीज़!
– अल्लाह तआला हमे अपने रहमो करम का साया नसीब फरमाए।
– हमे तमाम किस्म की गुमराहियो से बचाए।
– किताबो-सुन्नत पर अमल की तौफीक दे।
– जब तक हमे जिंदा रखे इस्लाम और ईमान पर जिन्दा रखे।
– खात्मा हमारा ईमान पर हो।
– वा आखिरू दावा’ना अलह्म्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन !!!
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