अल्लाह की रहमत का एक खुबसूरत वाकिया | Islamic Waqiat In Hindi

अल्लाह की रहमत का एक खुबसूरत वाकिया | Islamic Waqiat In Hindi

Islamic Waqiat In Hindi

अल्लाह की रहमत का एक खुबसूरत वाकिया

इब्न खुदामा अपनी किताब अत-तवाबिंन में बनी इस्राईल का वाकिया पेश करते हुए कहते है के, मूसा (अलैहि सलाम) के ज़माने में एक बार केहत आया (सुखा पड़ा), आप अपने तमाम सहाबा के साथ अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर बारिश के लिए दुआ करते है, अल्लाह की जानिब से मूसा (अलैहि सलाम) को गैब से आवाज़ आयी और कहा के “ऐ मूसा(अ.) आपके एक सहाबी ने अभी तक तौबा नहीं की..

मूसा (अलैहि सलाम) अपने सहाबा से कहते है के तुम में से कौन है जिसने अभी तक तौबा नहीं की इसीलिए बारिश नही हो रही, ये कहते ही बारिश का बरसना शुरु हो गया।

सहाबा कहने लगे “ऐ मूसा (अ.) आपने तो झूठ कहा हमसे! देखो बारिश तो शुरू हो गई”

मूसा (अ.) परेशांन होकर अल्लाह से सवाल करने लगे “ऐ अल्लाह ! ये कैसा माजरा है ?”

अल्लाह तआला ने फ़रमाया “ऐ मूसा (अ.)  जैसा ही तुमने सहाबा से तौबा का ज़िक्र किया मेरे उस गुनेहगार बन्दे ने मुझसे अपने गुनाहों की तौबा कर ली” (रिवायतो में आता है के उस सहाबी के मुह से अस्ताग्फार का जुमला निकला)

मूसा (अ.) ने कहा “ऐ अल्लाह! मुझे भी बता , भला वो कौन था बंदा”

अल्लाह तआला ने फ़रमाया “ऐ मूसा(अ.) , मेरा बंदा जब गुनाह करके तौबा नहीं किया तब मैंने तुमसे छुपाया, अब तो मेरा बंदा तौबा कर चूका है फिर भला अब तुम्हे कैसे उसका नाम बता दू,..” [किताब अत-तवाबिंन]


♥ सुभानअल्लाह ! ये रिश्ता है अल्लाह का अपने बन्दों से…!

मेरे अजीजो! अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमारे गुनाहों को पोशीदा रखने पर कादिर हैं, और सिर्फ पोशीदा ही नहीं बल्की हमारे गुनाहों को मुआफ करने पर भी कादिर है, ज़रा शिद्दत से खालिस उसकी बारगाह में हाथ फैलाकर तो देखो।

बहरहाल, इस वाकिये में नसीहत है, उन तमाम हज़रात के लिए जो अल्लाह से मायूस होकर अल्लाह के आगे सर झुकाने  के बजाये फलाह और फलाह के दर पर झुकते है, अपने गुनाहों के किस्से उन्हें सुनाकर उन्हें अपने गुनाहों पर गवाह और हुज्जत बनाते है, अल्लाह रहम करे, ना जाने कीस हद तक हम अपने रब से मायूस होते है जबकि वो तो हमारी तौबा की इंतज़ार में रहता है।

लिहाजा मेरे अजीजो! हमे चाहिए के हम अल्लाह से अपना रिश्ता मजबूत कर ले, और हर हाल में अल्लाह ही से सवाल करे, जैसा के हमारे नबी-ऐ-करीम (सलाल्लाहू अलैहि वसल्लम) ने सारी ज़िन्दगी आपनी उम्मत को तालीम दी।

Source: मूसा अलैहि सलाम का इबरतनाक वाकिया

♥ इंशा अल्लाह उल अज़ीज़
– अल्लाह तआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,
– जब तक हमे जिंदा रखे इस्लाम और इमांन पर जिन्दा रखे,
– खात्मा हमारा ईमान पर हो ,.
*वा आखिरू दावाना अलाह्मुद्लिल्लाही रब्बिल आलमीन !!!

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