“अल्लाह तआला फर्माता है,जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे,जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा। "मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ? मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।" 📕 मुस्लिम: ६५४८
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है और अल्लाह से डरते रहो और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।" 📕 सूरह हश्र १८
अमानत का वापस करना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह तआला तुम को हुक्म देता है के जिन की अमानतें हैं उनको लौटा दो।" 📕 सूरह निसा: ५८ फायदा : अगर किसी ने किसी शख्स के पास कोई चीज़ अमानत के तौर पर रखी हो तो मुतालबे के वक़्त उसका अदा करना जरूरी है।
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ? तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है। 📕 शोअबुल ईमान: १०२४४
हज किन लोगों पर फर्ज है ? कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतुल्लाह का हज करना (फर्ज) है, जो वहाँ तक पहुँचने की ताकत रखते हों।" 📕 सूरह आले इमरान: ९७
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।" 📕 बुखारी : ६१३५
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के "(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।" 📕 मुस्लिम : १३२ फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई : "मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला रहमी करने की वसिय्यत फ़रमाई अगरचे वह तुमसे पीठ फेरे।" 📕 सहीह इब्ने हिम्बान : ४५०, अन अबी जर (र.अ)
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है। 📕 इब्ने माजा : १९०२ खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
MD. Salim Shaikh
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