क़ुरआन ए करीम की चंद ही आयतो के हवाले से जानते है के, अल्लाह के सिवा तुम्हारा न कोई दोस्त है और न मददगार | Allah ke siwa na koi tumhara dost hai na madadgaar
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
१. क्या तुम नहीं जानते कि आसमान और ज़मीन की सलतनत बेशुबहा ख़ास अल्लाह ही के लिए है और अल्लाह के सिवा तुम्हारा न कोई सरपरस्त है न मददगार। 1
२. और तुम लोग ज़मीन में (रह कर) तो अल्लाह को किसी तरह हरा नहीं सकते और अल्लाह के सिवा तुम्हारा न कोई दोस्त है और न मददगार। 2
३. और न तो तुम ज़मीन ही में अल्लाह को ज़ेर कर सकते हो और न आसमान में और अल्लाह के सिवा न तो तुम्हारा कोई सरपरस्त है और न मददगार। 3
४. इस में तो शक़ ही नहीं कि सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत अल्लाह ही के लिए ख़ास है, वही (जिसे चाहे) जिलाता है और (जिसे चाहे) मारता है और तुम लोगों का अल्लाह के सिवा न कोई सरपरस्त है न मददगार। 4
५. (ऐ रसूल ﷺ) तुम उनसे कह दो कि अगर अल्लाह तुम्हारे साथ बुराई का इरादा कर बैठे तो तुम्हें उसके (अज़ाब) से कौन ऐसा है जो बचाए, या भलाई ही करना चाहे (तो कौन रोक सकता है) और ये लोग अल्लाह के सिवा न तो किसी को अपना सरपरस्त पाएँगे और न मद्दगार। 5
६. बल्कि अल्लाह तुम्हारा सरपरस्त है और वह सब मददगारों से बेहतर है। 6
७. और अल्लाह तुम्हारे दुश्मनो से ख़ूब वाक़िफ़ है और दोस्ती के लिए बस अल्लाह काफ़ी है और हिमायत के वास्ते भी अल्लाह ही काफ़ी है। 7
८. अल्लाह यक़ीनी तुम्हारा मालिक है और वह क्या ही अच्छा मालिक है और क्या ही अच्छा मददगार है। 8
- सूरह बक़रह 2:107 ↩︎
- अश-शूरा 42:31 ↩︎
- अल-अंकबूत 29:22 ↩︎
- अत-तौबा 9:116 ↩︎
- अल-अहज़ाब 33:17 ↩︎
- अली ‘इमरान 3:150 ↩︎
- अन-निसा 4:45 ↩︎
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