अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियानआसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।" 📕 तिर्मिज़ी : १६२४
रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ को हटाने की फ़ज़ीलत सूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “एक आदमी का इन्तेकाल हो गया, उसने कोई नेकी नहीं की थी, हां! उस ने रास्ते से कांटे की टहनी उठा कर फेंकी थी या (रास्ते पर) कोई दरख्त था जिसे उसने काट डाला था और उसे किनारे डाल दिया था, अल्लाह तआला ने उसे इस के बदले में जन्नत में दाखिल कर दिया।” 📕 अबू दाऊद : ५२४५, अन अबी हुरैरह (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “एक आदमी रास्ते से गुजर रहा था, के उसे काँटेदार दरख्त की शाख रास्ते में पड़ी मिली, तो उस ने हटा कर किनारे कर दिया और उस पर अल्लाह…
हमेशा सच्ची गवाही देना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "ऐ ईमान वालो ! इन्साफ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ ही (क्यों न हो।" 📕 सूरह निसा : १३५ फायदा: सच्ची गवाही देना और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।
अल्लाह के हुक्म पर चलो ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको कुरान में अल्लाह तआला फरमाता है: “ये बताये हुए अहकाम ही मेरा सीधा रास्ता है, तुम इसी पर चलो और दूसरे गलत रास्तों पर मत चलो वरना वो रास्ते तुमको राहे खुदा से हटा देंगे, अल्लाह तआला इस बात का तुमको ताकीद के साथ हुक्म देता है ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको।” 📕 सूरह अनम: 153
शर्म व हया ईमान का जुज़ है रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं। सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।" 📕 मुस्लिम: १५३
कब्र के जियारत की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) सहाब-ए-किराम को जियारते कुबूर (क़ब्र के जियारत) की यह दुआ सिखाते थे: اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔ Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya. तर्जमा : सलाम हो तुम पर ऐ इस इस बस्ती के मोमिनो और मुसलमानो ! और हम भी इन्शाअल्लाह तुम्हारे साथ मिलने वाले हैं, हम अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से आफियत चाहते हैं। 📕 मुस्लिम : २२५७, अन बुरैदा (र.अ)
तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा, बिला शुबा जो लोग मेरी इबादत करने से एराज़ करते हैं, वह अन्ज़रीब ज़लील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे।" 📕 सूरह मोमिन ६०
गुनाहों से माफी की दुआ | रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन “अपने गुनाहों से माफी मांगने और अल्लाह तआला से रहम व करम तलब करने के लिए यह दुआ करनी चाहिए”– رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन तर्जमा: ऐ हमारे रब ! हम ने अपनी जानों पर बड़ा जुल्म किया (अब) अगर आप हमारी मगफिरत नहीं फर्माएंगे और रहम नहीं करेंगे तो हमारा बड़ा नुकसान हो जाएगा। 📕 सूरह आराफ़ : 23 वजाहत: यह हज़रत आदम व हव्वा (अ.स) की दुआ है, जो उन्होंने अपनी माफी के लिए अल्लाह तआला से की थी।
अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ ( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin ) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं। 📕 सूरह आराफ: १५५ ( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin ) तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है। 📕 सूरह मोमिनून : १09
दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ। 📕 इब्ने माजा: ३८५१
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये: ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ "Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena" तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा। 📕 सूरह अंकबूत 29:30
माँगने वाले को नरमी से जवाब देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।" 📕 सूरह बकरा : २६३
मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ) Highlights • गौर करने योग्य सिस्टम: शरीर के अंदर पाचन प्रणाली (digestive system) का सटीक कार्य, जो गिज़ा को खून में बदलकर शरीर को पोषण पहुँचाता है।• कुदरत का अद्भुत कार्य: हर कदम पर अल्लाह की कुदरत और हिकमत को महसूस करना चाहिए, जो इस जटिल तंत्र को नियंत्रित कर रही है।• अल्लाह की कुदरत: यह सारा निज़ाम अल्लाह के क़दमों का किया हुआ काम है, जो पूरी तरह से बिना किसी बुराई के चलता है। हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये, इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे…
सफर में गाने सुनना कैसा | Safar me Gaane Sunna Kaisa ? सफर में गाने सुनना कैसा ? हदीस: नबी ए करीम ﷺ ने फरमाया: "जो शख़्स सफ़र की हालत में अल्लाह की याद और ज़िक्र में लगा रहता है तो फ़रिश्ता उसका हमसफ़र हो जाता है। और अगर मौसिकी (गाने या म्यूजिक) में मशगुल रहता है तो शैतान उसके सफर का साथी बन जाता है।" 📕 सहिह अल जामे, हदीस 5706 और भी पढ़े : Safar ki Dua | सफर की दुआ: जानिए कैसे करें अपने सफर को मेहफ़ूज़ ! सवारी पर बैठने के बाद की दुआ कश्ती (स्टीमर) के या पानी से सफर की दुआ सवारी परेशान करे तब की…
इस्मे आजम का वजीफा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया : तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है – “Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad” 📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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