रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।”
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