23. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

23 Safar

23 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
23 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत दाऊद (अ.स) की नुबुव्वत व हुकूमत

हजरत दाऊद (अ.स) से पहले बनी इस्राईल में नुबुव्वत और हुकूमत दो अलग अलग खान्दानों में चली आ रही थी, यहुदा के खान्दान में नबूव्वत और अफराहीम के खान्दान में हुकूमत व सलतनत होती थी।

हजरत दाऊद (अ.स) बनी इस्राईल के वह पहले शख्स हैं, जिन को अल्लाह तआला ने नुबुब्बत और हुकूमत एक साथ अता किया था, वह खुदा के पैग़म्बर और रसूल होने के साथ बनी इस्राईल के हाकिम व बादशाह भी थे, उन्होंने हज़रते मूसा (अ.स) की शरीअत को जिन्दा किया और अपनी कौम को सीधी राह पर चलाने की कोशिश करते रहे, इस के साथ ही चालीस या सत्तर साल तक बनी इस्राईल पर कामयाब हुकूमत की। 

पहले सात साल तक उन का दारूल हुकूमत “हिबरून” था फिर यरोशिलम को अपना दारूल हुकूमत बनाया। थोड़ी ही मुद्दत में उन की हुकूमत का दायरा शाम, इराक,फलस्तीन और शर्के उर्दुन के अलावा दिगर ममालिक तक वसीअ हो गया था। 

तारिखे इस्राईल में उनके ज़मान-ए-हुकूमत को मुल्की फुतूहात और हुस्ने इन्तेजाम के सिलसिले में मिसाली समझा जाता है। 

उन्होंने १०० साल की उम्र में अल्लाह की इबादत करते हुए इन्तेकाल फर्माया और शहर है “सैहून” में दफन हुए।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

इन्सानी अक्ल

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से इन्सान को अक्ल अता फर्माई, जिसकी वजह से वह बडे बडे कारनामे अन्जाम देने की सलाहियत रखता है। यहाँ तक के उसी अक्ल के जरिये बड़े बड़े सरकश व ताक़तवर जानवारों को भी अपने कब्जे में कर लेता है। 

अगर इन्सान की अक्ल खराब हो जाए, तो वह सबकुछ भूल जाता है, यहाँ तक के उस को अपनी भी खबर नहीं रहती। मगर यह अल्लाह ही की कुदरत है के उसने इन्सान को अक्ल अता फ़र्मा कर दुनिया की चीजों से फायदा उठाने का सलीका अता फर्मा दिया।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है,

“तुम्हारे रब ने फैसला कर दिया है के अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”

📕 सूरह बनी इस्राईल : २३

वजाहत: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बर्ताव करना फर्ज है। 


4. एक सुन्नत के बारे में

सुरमा लगाने का सुन्नत तरीका

हजरत अनस (र.अ) बयान करते हैं के:

रसूलुल्लाह (ﷺ) दाईं आँख में दो सलाई फिर बाई आँख में दो सलाई लगाते फिर (एक सलाई दाई और बाई) दोनों आँखों में लगाते।

📕 शोअबुल ईमान: ६१५८


5. एक अहेम अमल की फजीलत

कुरआने करीम की तिलावत करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

कुरआन पढ़ने वाला कयामत के रोज़ आएगा, चुनान्चे कुरआन सिफ़ारिश करते हुए कहेगा के ऐ परवरदिगार ! इस को जोड़ा पहना दीजिये! पस उस को इज्जत का ताज पहना दिया जाएगा।

फिर कहेगा : ऐ परवरदिगार ! और ज़ियादा पहना दीजिये। तो उसको इज्जत का जोड़ा पहना दिया जाएगा। फिर कहेगा: उससे खुश हो जाइये ! तो अल्लाह तआला उससे खुश हो जाएगा।

फिर उस से कहा जाएगा के कुरआन पढ़ता जा और (दर्जो) पर चढ़ता जा और हर आयत के बदले एक एक नेकी बढ़ती जाएगी।”

📕 तिर्मिज़ी: २९१५, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

बीवियों के दर्मियान इन्साफ न करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस के निकाह में दो औरतें हो और वह आदमी दोनों के दर्मियान बारी और नान व नफ़्क़ा और माल की तक्सीम में इन्साफ न करे, तो ऐसा आदमी कयामत के दिन इस हाल में आएगा के उसकी गर्दन में तौक़ होगा और उसके बदन का बायाँ हिस्सा झुका हआ होगा और उसके हक में जहन्नम का फैसला होगा।”

📕 अलम तालिबुल आलिया: १६४६, अन अबी हुरैरह (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

दुनिया खोल दी जाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अनक़रीब दुनिया की दौलत तुम पर खोल दी जाएगी, यहाँ तक के तुम अपने घरों को इस तरह संवारोगे जैसे काबा शरीफ की नक्श व निगार की जाती है।”

📕 तबरानी कबीर : ९७७३०, अन अबी जुहफ़ा (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

नेक आमाल का बदला जन्नत है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यही वह जन्नत है, जिस के तुम अपने नेक आमाल के बदले वारिस बना दिये गए हो और तुम्हारे लिये उस में बहुत से मेवे हैं, जिनमें से तुम खाते रहोगे।”

📕 सूरह जुखरूफ: ७२ ता ७३


9. तिब्बे नबवी से इलाज

बिच्छू के ज़हर का इलाज

हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) कहते हैं के :

“सहाबा की एक जमात का गुज़र ऐसी जगह से हुआ जहाँ एक शख्स को बिच्छू ने डस लिया था, वहाँ के लोगों में से एक शख्स ने सहाबा से दम करने की दरख्वास्त की चुनान्चे एक सहाबी तशरीफ ले गए और सूरह फातिहा पढ़ कर दम कर दिया तो वह अच्छा हो गया।”

📕 बुखारी : ५७३७


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! तुम सब्र और नमाज़ के जरिये मदद हासिल करो। बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”

📕 सूरह बकरा : १५३

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