27. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
27 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
जुलकरनैन
कुरआने करीम के सूर ए कहफ में एक ऐसे बादशाह का तजकेरा किया गया है, जिन का लकब “जुलकरनैन” है, वह बहुत नेक दिल बादशाह थे। उन्हीं की बदौलत बनी इसराईल ने बाबुल की गुलामी से नजात पाई थी और यरोशिलम (बैतुलमकदिस) जैसी मुहतरम जगह हर किस्म की तबाही व बरबादी के बाद उन्हीं के हाथों दोबारा आबाद हुआ था।
उन्होंने मशरिक व मगरिब का सफर किया और फुतूहात भी की। एक मर्तबा सफर के दौरान एक कौम से मुलाकात हुई जिन्होंने बादशाह जुलकरनन से याजूज व माजूज के फितना व फसाद की शिकायत की और कहा : “ऐ जुलकरनैन ! उन लोगों से हमारी हिफाजत के लिये एक दीवार क़ाएम कर दीजिये।” उस पर आप जो मुआवजा लेना चाहेंगे हम देने के लिये तय्यार हैं। लेकिन जुलकरनेन ने मुआवजा लेने से इन्कार कर दिया और कहा : “अल्लाह ने जो कुछ मुझे दिया है वह मेरे लिये काफी है।” फिर उन्होने एक मज़बूत दीवार क़ाएम कर दी।
2. अल्लाह की कुदरत
खारे और मीठे पानी का अलग रहना
कुरआन में अल्लाह तआला ने ऐसे दो समन्दरों का तज़केरा किया है जिनमें से एक का पानी खारा और दूसरे का मीठा है। उन में तूफान भी आते हैं और जवार भाटा भी होता है, बड़े बड़े समन्दरी जहाज़ भी चलते हैं मगर उस के बावजूद खारा और मीठा पानी एक दूसरे में नहीं मिलता, जब के उन के दर्मियान किसी किस्म की कोई आड़ या रूकावट भी नहीं है, यह अल्लाह तआला ही की कुदरत का कमाल है के उस ने खारे और कड़वे पानी को बगैर किसी रूकावट के एक दूसरे से अलग रखा है।
3. एक फर्ज के बारे में
मांगी हुई चीज़ का लौटाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”
खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।
4. एक सुन्नत के बारे में
सफर से वापसी के बाद नमाज़ पढ़ना
हजरत कअब (र.अ) बयान करते हैं के:
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब दिन के वक्त सफर से वापस तशरीफ लाते तो मस्जिद में दाखिल होते और बैठने से पहले दो रकात नमाज अदा फर्माते।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जन्नत में जाने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने ( Radhitu billahi Rabba Wa bil Islami Deena wa bi Muhammadin Nabiyyan ) पढ़ा, ” जन्नत उस के लिये वाजिब हो गई।”
📕 अबू दाऊद: १५२९, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
तर्जुमा : मैं राजी हु के अल्लाह मेरा रब है, दींन मेरा इस्लाम है और मुहम्मद (ﷺ) मेरे नबी है।
6. एक गुनाह के बारे में
अपनी इज्जत के लिये दूसरों को खड़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स इस बात को चाहे के लोग उस की इज्जत के लिये खड़े हों, तो उसे अपना ठिकाना जहन्नम में बना लेना चाहिये।”
📕 तिर्मिज़ी : २७५५, अन मुआविया (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की मुहब्बत हलाक करने वाली है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“खुश हो जाओ और अपने मतलूब की उम्मीद रखो ! अल्लाह की कसम ! मुझे तुम्हारे मोहताज होने का अंदेशा नहीं, मुझे तो इस बात का अंदेशा है, कहीं तुम पर दुनिया खोल न दी जाए, जिस तरह तुम से पहेली कौमों पर खोली गई थी, पस तुम उस में इस तरह रगबत जाहिर करने लगो, जिस तरह उन लोगों ने की थी, फिर वह (दुनिया) तुम्हें उसी तरह हलाक कर दे, जिस तरह उन को किया था।”
📕 बुखारी : ४०१५, अन अम्र बिन औफ (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत के उम्दा फर्श
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(अहले जन्नत) सब्ज रंग के नक्श व निगार वाले फर्शो
और उम्दा कालीनों पर तकिया लगाए बैठे होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
लहसन के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर मेरे पास फरिश्ते न आया करते, तो मै लहसन जरुर खाता।”
फायदा : आप के फर्मान से साफ जाहिर है के लहसन अपने अन्दर बहुत से फवाइद रखता है, चुनान्चे अतिब्बा कहते हैं के इस के खाने से सीने का दर्द जाता रहता है, यह खाना हज्म करता है और प्यास कम करता है।
10. कुरआन की नसीहत
जबतक अपनी प्यारी चीज़ अल्लाह की राह में खर्च नहीं कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“तुम उस वक़्त तक नेकी और भलाई हासिल नहीं कर सकते, जब तक तुम अपनी महबूब चीज़ों से (अल्लाह के रास्ते में) खर्च न कर लो और जो कुछ भी तुम खर्च करते हो, तो अल्लाह तआला उसको अच्छी तरह जानता है।”