Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हज़रत शमवील (अ.स.)
- 2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
- ऊँट का हुजूर की फर्माबरदारी करना
- 3. एक फर्ज के बारे में
- जमात से नमाज़ पढ़ने की ताकीद
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- इल्म की ज़ियादती के लिये दुआ
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- कुरआन को गौर से सुनना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- अहेद तोड़ने वालों का अंजाम
- 7. दुनिया के बारे में
- नाफर्मान क़ौमों की हलाकत की वजह
- 8. आख़िरत के बारे में
- दुनिया की आग जहन्नम की आग से डरती है
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- जम ज़म के फवायद
- 10. नबी (ﷺ) की नसीहत
- नींद से उठकर सीधे बर्तन में हाथ ना डाले
20. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत शमवील (अ.स.)
हजरत शमवील (अ.स) का सिलसिला-ए-नसब हजरत हारून (अ.स.) से मिलता है, बनी इस्राईल जब सर जमीने फलस्तीन में दाखिल हो गए, तो उन पर एक ऐसा जमाना गुज़रा, के उन में न कोई नबी या रसूल थे और न ही कोई हाकिम, चुनाचे पड़ोसी कौमें उन पर हमला करती रहतीं। ऐसे जमाने में बनी इस्राईल की इस्लाह व कयादत के लिये अल्लाह तआला ने हज़रत शमवील (अ.स.) को नबी बनाया।
उन्होंने क़ौम की दरख्वास्त पर हजरत तालूत को उन का बादशाह बनाया, बाज़ लोगों ने एतराज किया, तो हजरत शमवील (अ.स.) ने फर्माया: “यह अल्लाह तआला के हुक्म से है और उसकी निशानी यह में है के तूम्हारा सन्दुक़ जिस में नबियों की मीरास थी और जिस को कौमे अमालेका लेकर चली गई थी। फरिश्ते वह सन्दूक ला कर देंगे”, चुनान्चे ऐसा ही हुआ, फरिश्तों ने वह सन्दूक हजरत तालूत को पहुंचा दिया और हजरत तालूत बादशाह बना दिये गए।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
ऊँट का हुजूर की फर्माबरदारी करना
हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) फर्माते हैं के एक मर्तबा हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर से आए, जब हम लोग बनू नज्जार के बाग़ के पास पहुंचे, तो देखा के बाग में एक ऊँट बैठा हुआ है, जो बहुत गुस्से में था, बाग़ में जो भी जाता, उस पर हमला कर देता।
रसूलुल्लाह (ﷺ) बाग़ में दाखिल हुए और ऊँट को अपने पास बुलाया, तो वह आया और रसूलुल्लाह (ﷺ) के सामने मुँह के बल जमीन पर बैठ गया, फिर आपने उस की नकील मंगवाई और उस को पहना कर उस के मालिक के हवाले कर दिया और सहाबा की तरफ मुतवज्जेह हो कर फर्माया, के जमीन व आसमान के दर्मियान जितनी भी चीजें है, वह जानती हैं के मैं अल्लाह का रसूल हूँ, सिवाए गैर ईमानवाले इन्सान व जिन्नात के।
📕 दलाइलु न्नुबुय्वह लिलअसफहानी :२७०
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
3. एक फर्ज के बारे में
जमात से नमाज़ पढ़ने की ताकीद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मर्दो को चाहिये के वह जमात को छोड़ने से रूक जाएँ; वरना मैं उन के घरों में आग लगवा दूंगा।”
📕 इब्ने माजा : ७९५
नोट: जमात छोड़ने वालों के लिये हदीसों में बह सख्त वईर्दै बयान की गई है, इस लिये तमाम मुसलमान मर्दो पर जमात का एहतेमाम करना बहुत जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
इल्म की ज़ियादती के लिये दुआ
इल्म की जियादती के लिये इस दुआ का एहतमाम करना चाहिये
“रब्बी जिदनी इल्मा”
तर्जमा: ऐ परवरदिगार! मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
कुरआन को गौर से सुनना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स कुरआन की एक आयत सुनने के लिये भी कान लगा दे, उस के लिये ऐसी नेकी लिखी जाती है जो बढ़ती चली जाती है और जो शख्स उस आयत को पढ़े, वह आयत उस शख्स के लिये कयामत के दिन एक नूर होगा जो उस की नेकी के बढ़ने से भी जियादा है।”
📕 मुस्नदे अहमदः ८२८९, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
अहेद तोड़ने वालों का अंजाम
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग अल्लाह से पुख्ता अहेद करने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन तअल्लुकात के जोड़ने का अल्लाह ने हुक्म दिया है, उनको तोड़ते हैं और जमीन में फसाद फैलाते हैं, उन्हीं लोगों पर अल्लाह की फिटकार होगी और आखिरत में उनके लिये बड़ी खराबी होगी।”
खुलासा: रोजी का जिम्मा अल्लाह तआला पर है, लिहाजा रोजी की तंगी के डर से बच्चों को मार डालना या हमल गिराना या पैदाइश से बचने की कोई और तदबीर इख्तियार करना जैसा के आज के दौर में हो रहा है बहुत ही बड़ा गुनाह और हराम काम है।
7. दुनिया के बारे में
नाफर्मान क़ौमों की हलाकत की वजह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“हम ने ऐसी कितनी बस्तियों को हलाक कर डाला, जिन के रहने वाले अपने सामाने-ऐश पर फक्र किया करते थे। अब उनके यह मकानात पड़े हुए हैं, जिनको हलाक होने के बाद से अब तक बसना नसीब नहीं हुआ, मगर बहुत थोड़ी देर के लिये, आखिर कार हम ही उन के वारिस हुए।”
खुलासा: दुनिया के साजो सामान पर इतराना नहीं चाहिये, क्योंकि अल्लाह तआला उस को कभी भी हमसे छीन सकता हैं, जैसे के हमसे पहले कितने ही आलीशान मकानात को तबाह कर दिया और आज उसका नाम व निशान भी बाक़ी नहीं रहा।
8. आख़िरत के बारे में
दुनिया की आग जहन्नम की आग से डरती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम्हारी यह आग जहन्नम की आग का सत्तरवाँ हिस्सा है, अगर यह दो मर्तबा पानी से न बुझाई जाती तो तुम उस से नफा न हासिल कर सकते। यह आग अल्लाह तआला से दुआ करती है के वह उस को दोबारा जहन्नम में न डाले।”
📕 इब्ने माजाह : ४३१८. अन अनसन (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जम ज़म के फवायद
हज़रत इब्ने अब्बास ने ज़मजम के बारे में फर्माया:
“यह (जमज़म) एक मुकम्मल खूराक है और बीमारियों के लिये शिफा बख्श भी है।”
📕 बैहकी फी शोअबिल इमांन : ३९७३
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
नींद से उठकर सीधे बर्तन में हाथ ना डाले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई नींद से उठे, तो पानी के बरतन में हाथ डालने से पहले तीन मर्तबा अपने हाथ को धोले।”
📕 मुस्लिम: ६४६
इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।
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