9. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
9. Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज्जतुल विदाअ में आखरी खुतबा
९ जिल हज्जा १० हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने मैदाने अरफ़ात में एक लाख से ज़ियादा सहाब-ए-किराम के सामने आखरी खुतबा दिया, जो इल्म व हिकमत से भरा हुआ था और पूरी इन्सानियत का जामे दस्तूर था।
इसमें आप (ﷺ) ने फर्माया : ऐ लोगो! मेरी बातें गौर से सुनो ! शायद आइन्दा साल मेरी तुमसे मुलाक़ात न हो सके। लोगो ! तुम्हारी जानें, इज्जत व आबरू और माल आपस में एक दूसरे पर हराम है, मैंने जमान-ए-जाहिलियत की तमाम रस्मों को अपने पैरों तले रौंद दिया है, देखो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना के एक दूसरे को क़त्ल करने लगो, मैं तुम्हारे लिये अल्लाह की किताब छोड़कर जा रहा हूँ, अगर तुम इस को मजबूती से पकड़े रहोगे, तो कभी गुमराह नहीं होंगे, तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर हक है, किसी औरत को अपने शौहर के माल में से उसकी इजाजत के बगैर कुछ देना जाइज नहीं है, और क़र्ज़ वाजिबुल अदा है जो चीज़ माँग कर ली जाए उस को लौटाना जरूरी है और जामिन तावान का जिम्मेदार है,
लोगो! क्या मैं ने अल्लाह का पैगाम तुम तक पहुँचा दिया? सब ने जवाब दिया बिलाशुबा आपने अमानत का हक़ अदा कर दिया और उम्मत को खैर ख्वाही की नसीहत फ़रमाई, फिर आपने आसमान की तरफ उंगली उठा कर तीन मर्तबा अल्लाह तआला को गवाह बनाया और कहा: ऐ अल्लाह! तू गवाह रहना, ऐ अल्लाह! तू गवाह रहना, ऐ अल्लाह ! तु गवाह रहना।
2. अल्लाह की कुदरत
च्यूँटी अल्लाह की कुदरत का नमूना है
च्यूटी भी अल्लाह की अजीब मखलूक है। इतने छोटे से जान्वर में अल्लाह तआला ने आँख नाक कान दिल व दिमाग हाथ पैर कितनी कारीगरी से बनाए। फिर इन को सोचने, समझने और सूंघने की बेपनाह सलाहियतों से नवाज़ा। वह एक मील की दूरी से मीठी चीज़ों का सूंघ कर पता लगा लेती है। च्यंटियों की सरदार को जब कोई चीज़ मिलती है, तो वह अपने मातहत तमाम च्यंटियो को बुलाती है।।और वह उस चीज़ को उठा कर अपने बिलों में ले जाती हैं।
अगर किसी दाने के जमने का खतरा महसूस करती हैं, तो उस के टुकड़े कर देती हैं और गर्मी के मौसम में सर्दी के लिए और इसी तरह बरसात का मौसम आने से पहले ही ज़खीरा जमा कर लेती हैं, बगैर किसी मशीन व आला के गर्मी और बरसात के मौसम की खबर उन्हें किस ने दी? इतनी छोटी सी मखलूक को ऐसे ऐसे हनर सिखा देना अल्लाह की कुदरत का करिश्मा है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज के लिये मस्जिद जाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल तौर पर वजू करता है, फिर सिर्फ नमाज़ ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बन्दे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।”
📕 इब्ने खुजैमा : १४११. अबू हरैराह (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
कुर्ते का इस्तेमाल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को कपड़ों में कमिस बहुत पसंद थी।
📕 अबू दाऊद : ४०२६
5. एक अहेम अमल की फजीलत
हर नमाज के बाद तस्बीह फातिमी अदा करना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद ३३ मर्तबा “सुभानअल्लाह” ३३ मर्तबा “अलहम्दुलिल्लाह” और ३४ मर्तबा “अल्लाहु अकबर” कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।”
6. एक गुनाह के बारे में
औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में खुद को मशगूल न करो
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“तुम में से कयामत के दिन मुझ से ज़ियादा करीब वह शख्स होगा, जो दुनिया से उसी तरह निकल आए, जिस तरह में छोड़ कर जा रहा हूँ; अल्लाह की कसम ! मेरे सिवा तुम में से हर एक दुनिया की किसी न किसी चीज़ में फंसा हुआ है।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज:
नजर लगने से हिफाजत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने कोई ऐसी चीज़ देखी जो उसे पसंद आ गई, फ़िर उस ने (माशा अल्लाह ! व लाहौल वला क़ूवता इल्लाह बिल्लाही) कह लिया, तो उस की नज़र से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।”
📕 कंजुल उम्मुल : १७६६६, अनस (र.अ)
10. कुरआन की नसीहत
नबी (ﷺ) की इताअत की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो, अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”
to be continued …