16 Rajjab | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

16 Rajjab

16 Rajjab

1. इस्लामी तारीख

हज़रत सईद बिन जैद (र.अ)

हज़रत सईद बिन जैद भी उन दस मुबारक लोगों में हैं जिन्हें रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की बशारत सुना दी थी। यह हजरत उमर (र.अ) के बहनोई हैं, इन्होंने हजरत उमर (र.अ) से पहले इस्लाम कबूल किया वह और उन की बीवी फातिमा बिन्ते खत्ताब, हज़रत उमर के इस्लाम लाने का ज़रिया बने।

एक मर्तबा एक औरत ने अदालत में यह दावा किया के “सईद ने मेरी फलाँ जमीन दबा ली है।” हज़रत सईद को इस से बड़ी तकलीफ हुई और उन्होंने अदालत में हाकीम के सामने कहा : क्या मैं इस औरत की जमीन दबाऊँगा, जब के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना है के जो शख्स किसी की एक बालिश्त भर जमीन भी जुलमन दबाए तो जमीन का वह टकडा सातों जमीन तक तौक बना कर उस के गले में डाला जाएगा।

इस हदीस को सुनने के बाद हाकीम ने उन को बरी कर दिया। मगर उन्होंने दुखे हुए दिल से फर्माया : ऐ अल्लाह तू जानता है के वह औरत झूटी है तू उस को अंधा कर दे।
और उस की जमीन को उस की कब्र बना दे। और ऐसा ही हुआ वह अंधी हो गई और एक दिन वह गढ़े में गिर पड़ी और वह गढ़ा उसकी कब्र बन गया।

हज़रत सईद बिन जैद का इन्तेकाल सन ५०हिजरी में या उसके कुछ बाद हुआ, उस वक्त उनकी उम्र सत्तर सालसे भी जियादा थी।


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

टूटे हुए पैर का ठीक हो जाना

हजरत अब्दुल्लाह बिन अतीक (र.अ) जब अबू राफेअ को कत्ल कर के वापस आने लगे तो सीढ़ी से उतरते हुए गिर पड़े और पैर टूट गया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस पर अपना दस्ते मुबारक फेरा, तो फौरन ऐसा अच्छा हो गया, गोया कभी टूटा ही न था।

[ बुखारी: ४०३९, अन बरा बिन आजिव (र.अ)]


3. एक फ़र्ज़ के बारे में

नमाज़ में किबला की तरफ रुख करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम (नमाज़ में) जहाँ कहीं भी हो तो अपने चेहरों को उसी (बैतुल्लाह शरीफ) की तरफ किया करो”

[ सूरह बकराह : १४ ]

फायदा: किबला की तरफ रुख कर के नमाज़ अदा करना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

खाने के बाद की दुआ

खाना खाने के बाद यह दुआ पढ़े:

तर्जमा: तमाम तारीफें उस अल्लाह के लिए हैं जिस ने हमें खिलाया, पिलाया और मुसलमान बनाया।

[ अबू दाऊद : ३८५०, अबू सईद खुदरी (र.अ)]


5. एक अहेम अमल की फजीलत

हर नमाज के बाद तसबीहे फातिमी पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया, जो शख्स हर फर्ज़ नमाज के बाद ३३ मर्तबा सुभानअल्लाह, ३३ मर्तबा अलहम्दुलिल्लाह और ३४ अल्लाहु अकबर कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।

[ मुस्लिम : १३४९, अन कअब बिन उजरह (र.अ)]


6. एक गुनाह के बारे में

किसी पर तोहमत लगाना गुनाहे अज़ीम है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे, फिर उस की तोहमत किसी बेगुनाह पर लगा दे, तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।”

[ सूरह निसा: ११२ ]


7. दुनिया के बारे में

नेक आमाल के बदले दुनिया की रौनक

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता:

” जो शख्स (अपने नेक आमाल के बदले) दुनियावी जिंदगी और उस की रौनक चाहेगा, तो हम उन लोगों को उन के आमाल का बदला दुनिया ही में दे दिया जायेगा और उन के लिए दुनिया में कोई कमी नहीं होगी,
यही लोग हैं जिन के लिए आखिरत में सिर्फ और सिर्फ जहन्नम है और उन्होंने जो कुछ दुनिया में किया था (वह सब आखिरत में) बेकार साबित होगा। “

[ सूरह हूदः १५ ता १६ ]


8. आखिरत के बारे में

अहले जन्नत को खुश्खबरी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“एक पुकारने वाला जन्नतियों को पुकारेगा तुम हमेशा तंदुरुस्त रहोगे,
कभी बीमार न होगे, तुम हमेशा जिन्दा रहोगे, कभी मौत नहीं आएगी, तुम हमेशा जवान रहोगे, कभी बूढ़े नहीं होंगे, तुम हमेशा खुशहाल रहोगे, कभी मोहताज न होगे

[ मुस्लिम : ७१५७ ]


9. तिब्बे नब्वी से इलाज

कद्दू (दूधी) से इलाज

۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,

“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे, उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की राबत पैदा हो गई ।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।

[ बुख़ारी : ५३७९ ]


10. नबी की नसीहत

अपने मुसलमान भाई से झगड़ा मत करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम अपने मुसलमान भाई से झगड़ा मत करो और न उस से ऐसा मजाक करो, जो झगड़े का सबब बने और न उससे ऐसा वादा करो, जिस को तुम पूरा न कर सको”

[ तिर्मिज़ी : १९९५ ]





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