Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हुजूर (ﷺ) की हिजरत
- 2. अल्लाह की कुदरत
- गिजा और साँस की नालियाँ
- 3. एक फर्ज के बारे में
- सूद से बचना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- इशा के बाद जल्दी सोना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- जमात के लिये मस्जिद जाना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया से बेरग़वती का इनाम
- 8. आख़िरत के बारे में
- जन्नतियों का लिबास
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- दाढ़ के दर्द का इलाज
- 10. क़ुरान की नसीहत
- अमानत वालों को अमानतें वापस कर दिया करो
25 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हुजूर (ﷺ) की हिजरत
मक्का मुकरमा में मुसलमानों पर बेपनाह जुल्म व सितम हो रहा था, इस लिये रसूलल्लाह (ﷺ) ने दूसरी बैते अकबा के बाद मुसलमानों को मदीना जाने की इजाज़त दे दी। मुसलमानों में सबसे पहले अबू सलमा (र.अ) ने हिजरत का इरादा किया और सवारी तय्यार कर के सामान रखा और अपनी बीबी उम्मे सलमा और लड़के सलमा को साथ लिया, मगर बनी मुग़ीरा ने उम्मे सलमा को जाने न दिया और बनी अब्दल असद ने उनके बेटे सलमा को छीन लिया। जिसमें उस बच्चे का एक हाथ भी उखड़ गया।
उस के बाद अबू सलमा तन्हा हिजरत कर गए। उम्मे सलमा रोजाना मक़ामे अबतह पर आकर रोती रहती थी। इस तरह एक साल का अरसा गुजर गया। आखिर एक शख्स ने उन पर रहम खा कर उनके शौहर अबू सलमा के पास भेजने पर कुरैशे मक्का को राजी कर लिया। उस वक़्त बनी अब्दल असद ने उनके लड़के सलमा को वापस किया। जिसे ले कर वह किसी तरह मदीना पहुँच गई। उन के अलावा दीगर मुसलमानों को भी हिजरत करने में बहुत ज़ियादा मुसीबतें उठानी पड़ीं
इस्लाम की खातिर अपने महबूब वतन, माल व दौलत और रिश्तेदारों को छोड़ना पड़ा। हजरत सुहैब (र.अ) ने जब हिजरत का इरादा किया, तो मुश्रिकीन ने रोक लिया। हज़रत सुहैब (र.अ) ने उन्हें अपना सारा माल देकर राजी किया और हिजरत फ़रमाई। इस की खबर रसूलुल्लाह (ﷺ) को मिली, तो आप ने फ़र्माया के सुहैब ने नफे का सौदा किया, जिस का जिक्र कुरआन में है।
2. अल्लाह की कुदरत
गिजा और साँस की नालियाँ
अल्लाह तआला ने हमारे साँस लेने और खाने पीने की दो मुख्तलिफ नालियाँ बनाई हैं। खाने की नाली का ताल्लुक मेदे से है और साँस की नाली का ताल्लुक फेफड़े से है। जब इन्सान खाता है या पीता है, तो कुदरती तौर पर साँस की नाली का मुँह ढक्कन की तरह परदे से बंद हो जाता है और खाने की नाली के जरिये खाना मेदे में पहुँच जाता है।
यही खाना अगर हवा की नाली में दाखिल होकर फेफड़ों में पहुँच जाता, तो इंसान का जिंदा रहना मुश्किल हो जाता।
मगर अल्लाह तआला की कुदरत पर कुर्बान जाइये के दोनों नालियों के करीब होने के बावजूद साँस लेने और खाने पीने का हैरान कुन इंतजाम फ़र्मा दिया है।
3. एक फर्ज के बारे में
सूद से बचना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! तुम कई गुना बढ़ा कर सूद मत खाया करो (क्योंकि सूद लेना मुतलकन हराम है) और अल्लाह तआला से डरते रहो ताके तुम कामयाब हो जाओ।”
नोट: कम या जियादा सुद लेना देना, खाना, खिलाना नाजाइज और हराम है,
कुरआन और हदीस में इस पर बडी सख्त सजा आई है,
लिहाजा हर मुसलमान पर सुदी लेन देन से बचना जरूरी है।’
4. एक सुन्नत के बारे में
इशा के बाद जल्दी सोना
रसूलुल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे
और इशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जमात के लिये मस्जिद जाना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
6. एक गुनाह के बारे में
इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया से बेरग़वती का इनाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा।
और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा
और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी
और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा,
उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नतियों का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
दाढ़ के दर्द का इलाज
एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :
चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।
10. क़ुरान की नसीहत
अमानत वालों को अमानतें वापस कर दिया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला तुमको हुक्म देता है के
अमानत वालों को उनकी अमानतें वापस कर दिया करो।”
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