Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- इमाम नसई (रह.)
- 2. अल्लाह की कुदरत
- मुखतलिफ तरीके से पानी का उतरना
- 3. एक फर्ज के बारे में
- आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- कुर्ते की आस्तीन गट्टों तक होना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- अरफ़ा के दिन रोजा रखना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- नमाज़ दिखलावे के लिये पढ़ने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो
- 8. आख़िरत के बारे में
- ईमान वालों का नूर
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज:
- सब से बेहतरीन दवा
- 10. कुरआन की नसीहत
- गवाही मत छुपाया करो
7. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
7. Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
इमाम नसई (रह.)
आप का नाम अहमद बिन शुऐब कुन्नियत अबू अब्दुर्रहमान है, आप खुरासान के “नसा” नामी शहर में सन २१५ हिजरी में पैदा हुए, इब्तिदाई तालीम अपने शहर में हासिल की और फिर अपनी इल्मी प्यास बुझाने के लिए अपने शहर से निकल कर खुरासान, हिजाज़, मिस्र, इराक, जज़ीरा और शाम का सफ़र किया और फिर मिस्र को अपना वतन बना लिया, वहीं दीन की इशाअत और तदरीसे हदीस में लगे रहे और इतनी शोहरत पाई के उस जमाने में मिस्र में उन के बराबर कोई न था।
आपने हदीस की कई किताबें लिखीं जिन में से आप की किताब “अलमुजतबा” जो हमारे और आप के दर्मियान “नसई शरीफ़” के नाम से मशहूर है “अस्सुननुलकुब्रा” का इखतिसार है। इमाम नसई एक तरफ़ हदीस में माहिर थे, तो दुसरी तरफ़ फ़िक्रहे हदीस और रावियों को परखने और जांचने में लासानी थे,जिस का अंदाज़ा आप की किताब “अलमुजतबा” से होता है, के आप एक ही हदीस को बार बार लाते हैं और अलग अलग मसाइल का इस्तिम्बात करते हैं। इस के साथ साथ आप बड़े आबिद व जाहिद थे, रातों को इबादत करना आप का मामूल था जीकादा सन ३०२ हिजरी में आप मिस्र से निकले और फ़लस्तीन पहूंचे, पीर के दिन सन ३०३ हिजरी में आप की वफ़ात हुई।
2. अल्लाह की कुदरत
मुखतलिफ तरीके से पानी का उतरना
अल्लाह तआला की कुदरत भी बड़ी अजीब है के कभी बगैर किसी बादल के शबनम की शकल में पानी उतार देता है, जिस के ज़रिए हर चीज़ नम और तर हो जाती है और सूरज की गर्मी और तपिश से हिफ़ाज़त हो जाती है और कभी शदीद बारिश बरसा कर हलाकत व तबाही का माहौल पैदा कर देता है। और कभी बर्फ़ और ओले बरसा कर सख्त सर्दी का समाँ पैदा कर देता है। और बरफ़ीले पहाड़ और हसीन वादियां अल्लाह की कुदरत की हम्द व सना में मसरूफ हो जाते हैं।
आस्मान से शबनम, बारिश, बर्फ व ओले बरसा कर मौसमों को बदलना अल्लाह की कुदरत की ज़बरदस्त दलील है।
3. एक फर्ज के बारे में
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इर्शाद फर्माई :
“नमाज़ों को (पाबंदी से पढते रहा करो)। और अपने गुलामों (और नौकरों) के बारे में अल्लाह तआला से डरो” यानी उन के हुकूक अदा करो।”
📕 अबू दाऊद : ५१५६, अन अली (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
कुर्ते की आस्तीन गट्टों तक होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) के कुर्ते की आस्तीन गट्टों तक होती थी।
📕 अबू दाऊद:४०२७, अन अस्मा बिन्ते यजीद (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अरफ़ा के दिन रोजा रखना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अरफ़ा के दिन का रोजा रखना एक साल अगले एक साल पिछले गुनाहों को माफ़ करा देता है।”
6. एक गुनाह के बारे में
नमाज़ दिखलावे के लिये पढ़ने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स नमाज़ को इस लिए पढ़े ताके लोग उसे देखें और जब तन्हाई में जाए, तो नमाज़ खराब पढ़े, तो यह ऐसी खराब बात है, जिस के ज़रिए वह अल्लाह की तौहीन कर रहा है।”
📕 बैहकी : २/२९०, अन इब्ने मसूद (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”
8. आख़िरत के बारे में
ईमान वालों का नूर
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जिस दिन ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औरतों को देखोगे के उन का नूर (ईमान) उन के आगे और उन के दाहनी तरफ़ दौड़ता होगा, (उन से कहा जाएगा) आज “तुम को ऐसे बागों की खुशखबरी दी जाती है जिन के नीचे नहरें जारी हैं, वह उन बागों में हमेशा रहेंगे। (यह नूरे बशारत) ही बड़ी कामयाबी है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज:
सब से बेहतरीन दवा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”
फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।
10. कुरआन की नसीहत
गवाही मत छुपाया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को छुपाएगा, तो यक़ीनन उस का दिल गुनेहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे कामों को खूब जानता है।”
to be continued …
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