परिन्दों की परवरिश

चमगादड़ के अलावा तमाम परिन्दे अंडे देते हैं, वह उन पर बैठकर हरारत व गर्मी पहुंचाते हैं। फिर कुछ दिनों … Read More

दीमक में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला ने बेशुमार मख्लूक़ पैदा फ़रमाई है। उन में एक अजीब नाबीना मख्लूख “दीमक” भी है। वह नाबीना होने के बावजूद … Read More

बेहोशी से शिफ़ा पाना | हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के –

“एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।

📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)

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बहरे मय्यित (Dead Sea)

मुल्के उरदुन (Jordan) में छोटा सा एक समुन्दर है जिस को “बहरे मय्यित” (Dead Sea) कहते हैं।

अल्लाह तआला ने कौमे लूत की बस्तियों को पलट कर एक गहरे समुन्दर में तब्दील कर दिया जिसके पानी की सतह आम समुन्दरों के मुकाबिल १३०० फुट गहरी है, उस की बड़ी खुसूसियत यह है के न कोई जानदार उस में जिन्दा रहता है और न ही डूबता है, जबकि दूसरे समुन्दरों में जानदार चीजें भी हैं और जानदार व बेजान चीजें इस में गिर कर डूब भी जाती हैं।

तफ्सील में यहाँ पढ़े : History of “Dead Sea” by Holy Quraan

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अल्लाह का बा बरकत निजाम

अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवापानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और बकर ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं।

📕 अल्लाह की कुदरत

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च्यूंटी की दूर अन्देशी

अल्लाह तआला की छोटी सी मख्लूक च्यूटी को देखो, कुदरत ने उस को अपनी गिजा जमा करने  की कैसी हिक्मत सिखाई है, अपनी गिजा जमा करने में च्यूंटियों आपस में एक दूसरे का किस तरह तआवून करती हैं, और सब आपस में मिलकर सख्त गरमी और सख्त सरदी का स्टाक जमाकर लेती

है ताके इत्मेनान व सुकून से अपने सूराखों में बैठ कर खाया करें और बाहर न निकलना पड़े यह कैसी में दूर अन्देशी है, यह समझ च्यूटी को किस ने दी ?

📕 अल्लाह की कुदरत

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रेडियम में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला ने इस कारखान-ए-आलम में मुख्तलिफ किस्म की कीमती चीजें पैदा फ़रमाई हैं, इन चीजों में एक कीमती चीज़ रेडियम भी है, यह एक चमकती हुइ चीज़ है, जो सोने से कई गुना ज़ियादा कीमती होता है। इसका वजूद पूरी दुनिया में चन्द सेर से ज्यादा नहीं।

इस कीमती जौहर के अन्दर बगैर बिजलीया तेल के इस कद्र चमक किस हस्तीने पैदा फ़रमाई ? बेशक यह अल्लाह तआला ही की कुदरत का करिश्मा है।

📕 अल्लाह की कुदरत

5/5 - (3 votes)

बर्फीले पहाड़ों में अल्लाह की कुदरत

बाज़ ऊंचे इलाकों और बुलंद पहाड़ों पर सर्द मौसम की वजह से बर्फ जम जाती है और पहाड़ों की चोटी बर्फ से ढक जाती है, जब के ज़मीन की सतह से बुलंद और सूरज के करीब होने की वजह से सख्त गर्मी होनी चाहिए थी और पानी भी ठंडा होने के बजाए गर्म होता, लेकिन इसके बावजूद पहाड़ों पर सख्त बर्फ जमी रहती है और सर्द माहौल रहता है।

यही नहीं, बल्के जितना ऊपर जाएँ और ज़्यादा सर्दी महसूस होगी।

इन पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ का जमाना और सर्द माहौल का बनाना अल्लाह की कितनी अज़ीम कुदरत है। सुभानअल्लाह।

📕 अल्लाह की कुदरत

5/5 - (3 votes)

समुन्दरी मछली में अल्लाह की कुदरत

जिस तरह अल्लाह तआला ने हमारे लिये जमीन पर बेशुमार ग़िज़ाएँ पैदा फ़रमाई इसी तरह समन्दर में बेशुमार किस्म की मछलियों को हमारी गिजा बना दिया।

लोग हजारों साल से समुन्दरी मछलियों का शिकार कर के अपनी गिजा हासिल कर रहे हैं। लेकिन आज तक मछलियां खत्म नहीं हुई। और अजीब बात यह है के खारे और मीठे समुन्दर की मछलियों के जायके में कोई खास फर्क नहीं होता।

बेशक यह अल्लाह की कुदरत और बन्दों पर उसकी बड़ी इनायत है जिसने उनके लिये मछली जैसी अहम गिजा का इन्तज़ाम फर्माया।

📕 अल्लाह की कुदरत

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अल्लाह की कुदरत : समुन्दर का उतरना चढ़ना

समुन्दर के किनारे अगर आप जाएँ तो देखेंगे के समुन्दर का पानी किनारे की तरफ़ कभी चढ़ जाता है और कभी उतर जाता है, लेकिन उस के चढने की एक हद होती है; अगर वह उस हद को पार कर जाए तो ज़बरदस्त जानी व माली नुक्सान हो जाए, क्योंकि दुनिया का तीन हिस्सा पानी और एक हिस्सा खुश्की है

यह अल्लाह तआला की जबर्दस्त कुदरत है जिसने समुन्दरों को उनकी हदों में रोक रखा है।

📕 अल्लाह की कुदरत

4.7/5 - (34 votes)

कोसे कज़ह (Rainbow)

अल्लाह की कुदरत

बारिश के मौसम में जब हल्की धूप में बारिश होती है तो आसमान पर एक जानिब से दूसरी जानिब सात रंगों वाली क़ौसे कज़ह (कमान) ज़ाहिर होती है।

कमान के यह मुख्तलिफ रंग आसमान के हुस्न व खूबसूरती में इज़ाफ़ा कर देते हैं, जिसको देख कर इन्सान सोचने पर मजबूर हो जाता है के आखिर आसमान की इस बुलन्दी पर किसी पेन्टिंग के बगैर चन्द मिनटों में इतनी बड़ी, खूबसूरत और हसीन क़ौसे क़ज़ह किसने बनाई।

बेशक यह अल्लाह ही की ज़ात है जो अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कुदरत का इज़हार फरमाती  है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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Badan ki haddi Kudrat ki Nishani

बदन की हड्डी कुदरत की निशानी

बदन की हड्डी कुदरत की निशानी

उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है।

उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म की हड्डियाँ पैदा की, और उन हड्डियों को सुतून
और पीलर नुमा बना कर पूरे जिस्मे इन्सानी को उन पर खड़ा कर दिया।

उन हड्डियों की शक्ल व सूरत को देखिये बाज़ हड्डियाँ टेढ़ी हैं, बाज़ लम्बी हैं,
कुछ गोल हैं, कुछ सीधी हैं, बाज़ चौड़ी हैं, बाज़ पतली है, कुछ हलकी हैं, कुछ भारी हैं,
कुछ ठोस हैं, इस तरह की मुख्तलिफ शक्लों की छोटी बड़ी तकरीबन २४८ हड्डियाँ हैं।

सोचो तो सही एक कतरे से इतना खूबसूरत जिस्म बनाने वाला कौन है ?

📕 अल्लाह की कुदरत

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मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये,

इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे में पहुँचता है,
मेअदा उस को पकाता है, फिर उस गिजा का जो अच्छा हिस्सा होता है,
उस को बारीक रगों के रास्ते से जिगर तक पहुँचाता है।

फिर जिगर उस को खून में तब्दील करता है,
उस खून को बारीक रगों के रास्ते से पूरे जिस्म में बक्रदे जरूरत सप्लाई करता है,

और मेअदे में जो फासिद माद्दा होता है वह पेशाब व पाखाने के रास्ते से बाहर निकल जाता है।

तो हमे गौर करना चाहिए के अंदर का यह सारा निजाम कौन चला रहा है,
बिला शुबा वही अल्लाह वदहू लाशरीक है।

📕 अल्लाह की कुदरत

5/5 - (3 votes)
Naak me Qudrate Ilahi ki Nishani

नाक – कुदरते इलाही की निशानी

नाक – कुदरते इलाही की निशानी

अल्लाह तआला ने इंसान के चेहरे पर नाक बनाई जिस से चेहरे की रौनक बढ़ जाती है और चेहरा खूबसूरत व खुशनुमा मालूम होता है।

फिर उस में अल्लाह ने दो नथने बनाए उनमें कुव्वते हास्सा और शाम्मा (महसूस करने और सूंघने की ताकत) रख दी जिससे नाक खाने पीने की चीजों की बू सूंघ कर फौरन कैफियत का पता लगा देती है।

यही नाक ताजा हवा को भी सूंघती है, जो दिल की गिजा है जिस से अन्दरून की हरारत बरकरार रहती है।

गौर तो करो, यह सारा निजाम किसने बनाया है ?

बेशक उसी अल्लाह ने बनाया है जो जर्रे जर्रे का अकेला मालिक है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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काइनात की सबसे बड़ी मशीनरी

इन्सान इस कायनात की सबसे बड़ी मशीनरी है, अल्लाह तआला ने इस को किस अजीब साँचे में ढाला है, एक नुत्फे से तदरीजी तौर पर जमा हुआ खून बनाया, जमे हुए खून से गोश्त का लोथड़ा बनाया फिर हड्डियाँ बनाई फिर एक ढाँचा तय्यार किया फिर उस में सारे आजा नाक, कान, आँखें, दिल, दिमाग, हाथ, पैर, बेहतरीन तरतीब से फिट किए।

यह सारा निजामे कुदरत एक छोटी सी अंधेरी कोठरी में चल रहा है, जिस माँ के पेट में यह बच्चा तय्यार हो रहा है उस माँ को भी पता नहीं, न उस के के बाप को पता है के क्या हो रहा है इस निजामे कुदरत को देख कर बे साख्ता जबान पर आ जाता है, “बाबरकत है वह अल्लाह की ज़ात जो बेहतरीन तख़्लीक़ करने वाली है।”

📕 अल्लाह की कुदरत

5/5 - (3 votes)

जमीन का अजीब फर्श

अल्लाह तआला फर्माता है :

“हम ने जमीन को फर्श बनाया और हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।”

जरा गौर कीजिये, अल्लाह तआला ने ज़मीन का कैसा अच्छा बिस्तर बिछाया है जिस पर हम आराम करते हैं, इस बिस्तर के बगैर हमारे लिये रहना दुश्वार था। फिर हमारे लिये ज़िंदगी की तमाम जरुरियात खाने पीने, अनाज, ग़ल्ले और मेवे के लिये जमीन को ख़ज़ाना बनाया, फिर सदी, गर्मी से हिफाजत भी जमीन पर रह कर कर सकते हैं और बदबूदार चीजें और मुरदार जिन की बदबू से हम को सख्त तकलीफ होती है ऐसी चीजों को हम जमीन में दफन कर के खराब हवा के असर से महफूज हो जाते हैं, बिलाशुबा इतना लम्बा चौड़ा जमीन का बिस्तर उसी हकीमे मुतलक की कारीगरी है।

📕 अल्लाह की कुदरत

यह भी देखे : ज़मीन कीशक्ल के बारे में कुरआन क्या कहता है?

4.4/5 - (5 votes)

गोह की ख़ुसूसियत

गोह, गिरगिट और छिपकिली की शक्ल व सूरत का एक जंगली जानवर है, उसकी खासियत यह है के यह पानी नहीं पीती और सात सौ साल से भी जायद जिन्दा रहती है। और उस के दाँत कभी नहीं गिरते।

उस के तमाम दाँत एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं, गोह बहुत से अंडे दे कर जमीन में दबा देती है और उन की निगरानी करती रहती है, चालीस दिन के बाद उस के बच्चे निकल आते हैं।

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से कैसी कैसी अजीब किस्म की मखलूक पैदा फ़र्मा रखी है।

📕 अल्लाह की कुदरत

5/5 - (3 votes)

हवा में निज़ामे कुदरत

हवा में अल्लाह का निजामे कुदरत देखो के उस ने हवा पर बादलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की कैसी डयूटी लगा रखी है के वह बराबर बादलों को ऐसी जमीन पर ले जाकर बारिश बरसाती हैं, जहाँ की जमीन सूखी और पानी के लिये प्यासी हो।

अगर अल्लाह तआला बादलों पर यह ज़िम्मेदारी न लगाता तो बादल पानी के बोझ से बोझल हो कर एक ही जगह पर ठहरे रहते और हमारे बाग़ात और खेतियाँ सूखे रह कर जाया हो जाते।

यकीनन अल्लाह वह बड़ी अजीम जात है जिस का हुक्म बादलों पर भी से चलता है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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गूलर के फल में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला ने दुनिया में हजारों किस्म के फल पैदा किये लेकिन गूलर के फल में अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत का इस तरह इजहार फ़र्माया के जब गूलर का फल पक जाता है तो उसकी तोड़ने पर बोहोत से कीडे निकलते हैं, जो अपने परों के जरिये उड कर गायब हो जाते हैं।

आखिर इस गूलर के फल में यह उड़ने वाले कीड़े कहाँ से आ गए? जब के उस में दाखिल होने का कोई रास्ता भी नहीं है…

यकीनन अल्लाह ही ने अपनी कुदरत से गूलर के फल में च्यूटी नुमा कीड़े पैदा फरमाए हैं।

📕 अल्लाह की कुदरत

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इन्सान की पैदाइश तीन अंधेरों में

काइनात की सब से हसीन तरीन मख्लूख “इन्सान” जिस के लिये अल्लाह तआला ने इस कारखान ए आलम को वुजूद बख्शा है, उसकी तखलीख अल्लाह तआला जहाँ कर रहा हैं, वह जगह न बहुत बड़ी है और न वहाँ रोशनी का इन्तज़ाम है, न वहाँ कोई काम करने वाले हैं, बल्के अल्लाह तआला एक तंग जगह माँ के पेट में तीन अंधेरों में उसकी तख़लीक़ कर रहा हैं।

जब के दुनिया में मेनू फैक्चरिंग जहाँ होती है, वह जगह कई एकड़ों में फैली हुई होती है, रोशनी और कुमकुमे लगे होते हैं और बेशुमार काम करने वाले होते हैं, यहाँ कुछ भी नहीं, फिर भी अल्लाह तआला इन्सान की पैदाइश कर रहा है, यह अल्लाह की बड़ी ज़बरदस्त कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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ज़बान दिल की तर्जमान है

अल्लाह तआला ने हम को ज़बान जैसी नेअमत अता फरमायी। उस के जरिये जहाँ मुख्तलिफ चीजों का जायका मालूम होता है वहीं यह दिल की तर्जमानी का फरीज़ा भी अन्जाम देती है।

जब दिल में कोई बात आती है, तो दिमाग उस पर गौर व फिक्र कर के अलफाज व कलिमात जमा करता है। फिर वह अलफाज़ व कलिमात खुदकार मशीन की तरह जबान से निकलने लगते हैं, गोया के सूनने वाले को इस का एहसास भी नहीं होता, अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से इन्सान के दिल व दिमाग़ और ज़बान में कैसी सलाहिय्यत पैदा की, बेशक यह अल्लाह ही की कारीगरी है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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इन्सान की ख़सलत व मिजाज

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“इन्सान को जब उस का परवरदिगार आजमाता है और उस को इज्जत व नेअमत देता है, तो कहता है के मेरे रब ने मुझ को इज़्ज़त दी और जब रोजी तंग कर के उस को आजमाता है तो कहता है: मेरे रब ने मुझे ज़लील कर दिया।”

📕 सूरह फज़्र : १५ ता १६

खुलासा : इन्सान दुनिया की ज़ाहिरी आराम व आराइश को देख कर उसे इज्जत समझता है, इसी तरह दुनिया की जाहरी मुसीबत व परेशानी को देख कर जिल्लत व रुस्वाई समझता है। जब की असल कामियाबी आख़िरत के ऐतबार से है।

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साँस लेने का निज़ाम, बलग़म के फायदे

जब हम गर्द व गुबार वाली हवा में साँस लेते हैं तो मिट्टी के ज़र्रात भी उस में शामिल हो जाते हैं। जिनसे हिफाजत के लिये अल्लाह तआला ने नाक से फेफड़े तक हवा के रास्ते में बलगम पैदा कर दिया है जो हवा की नालियों को तर (गिला) रखता है, जब हवा उन नालियों से गुज़रती है तो उस में मौजूद गर्द व गुबार बलग़म से चिपक जाते हैं और साफ सुथरी हवा फेफड़े में पहुँच जाती है, फिर बलगम के जरिये यह गर्द व गुबार साँस की नालियों के बाहर आ जाता है। सुबहानल्लाह !

अल्लाह ने अपनी कुदरत से हमारे फेफड़े की हिफाज़त का कैसा गैबी इन्तेजाम फ़रमाया है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना

गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं।

आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह राज तो मेरे अलावा कोई नहीं जानता था और फिर वो ईमान ले आये।

📕 तारीखे दिमश्क लिइब्ने असाकिर : २१७/३

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गिजा और साँस की नालियाँ

अल्लाह तआला ने हमारे साँस लेने और खाने पीने की दो मुख्तलिफ नालियाँ बनाई हैं। खाने की नाली का ताल्लुक मेदे से है और साँस की नाली का ताल्लुक फेफड़े से है। जब इन्सान खाता है या पीता है, तो कुदरती तौर पर साँस की नाली का मुँह ढक्कन की तरह परदे से बंद हो जाता है और खाने की नाली के जरिये खाना मेदे में पहुँच जाता है।

यही खाना अगर हवा की नाली में दाखिल होकर फेफड़ों में पहुँच जाता, तो इंसान का जिंदा रहना मुश्किल हो जाता।

मगर अल्लाह तआला की कुदरत पर कुर्बान जाइये के दोनों नालियों के करीब होने के बावजूद साँस लेने और खाने पीने का हैरान कुन इंतजाम फ़र्मा दिया है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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बकरी का दूध देना

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो?

मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी।

आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में दूध भर आया फिर उसको एक प्याले में दूहा, उस में से आप (ﷺ) ने पिया फिर हज़रत अबू बक्र (र.अ) को और फिर मुझ को पिलाया और थनों से कहा सुकड़ जाओ तो वह थन अपनी पहली हालत पर लौट आए।

📕 तबरानी कबीर: ८३७४, अन इब्ने मसऊद (र.अ)

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नींद का आना

जब इन्सान दिन भर काम कर के थक जाता है, तो अल्लाह तआला उस की थकान दूर करने के लिये उस पर नींद तारी कर देता है, यह नींद उस के फिक्र व ग्रम को दूर कर के ऐसा सुकून व राहत का जरिया बनती है के दुनिया की कोई चीज उस का बदल नहीं बन सकती, फिर अल्लाह तआला ने यह नेअमत अमीर व ग़रीब, आलिम व जाहिल, बादशाह व फकीर हर एक को यकसाँ अता फरमा रखी है। और इस के लिये रात का वक़्त मुतअय्यन कर दिया है।

अगर इन्सान को नींद न आए तो उस का दिमागी तवाजुन बिगड़ जाता है और होश व हवास खत्म हो जाते हैं, लोगों के लिये रात का वक्त मुतअय्यन करना और एक साथ नींद का आना अल्लाह की बड़ी कुदरत है

📕 अल्लाह की कुदरत

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आँखों की हिफाजत

अल्लाह तआला ने दुनिया के हसीन तरीन मनाजिर देखने के लिये हमें जिस तरह आँख जैसी नेअमत अता फ़रमाई है, इसी तरह उन की हिफाजत के लिये ख़ुद बखुद मशीन की तरह उन पर ऐसे परदे लगा दिये हैं के जब कोई नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ आँखों के सामने आती है, तो वह खुद बख़ुद बंद होने लगती हैं, उन की हरकत से जहाँ बाहर की चीज़ों के हमले से हमारी आँखें महफूज़ हो जाती हैं, वहीं उन के खुलने और बंद होने से आँख का मैल कुचैल साफ होता रहता है।

अल्लाह तआला ने अपनी हिकमत व कुदरत से आँखों की हिफाजत का कैसा अजीब व गरीब इंतजाम कर दिया है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत

एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक और तरहुद नहीं हुआ।

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वह : २१३४, अन अली (र.अ)

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नाक के बाल (अल्लाह की कुदरत)

अल्लाह तआला ने हर छोटी बड़ी चीज को हिकमत व मसलेहत के साथ पैदा फ़र्माया है, इन्सान ऑक्सीजन के बगैर जिन्दा नहीं रह सकता, इस लिये अल्लाह तआला ने साँस के जरिये ताजी हवा को खींचने और गंदी हवा को बाहर निकालने का निज़ाम बना दिया।

मगर अल्लाह की कुदरत व हिकमत का कमाल देखिये के उस ने फ़ज़ा में मौजूद ग़र्द व गुबार से बचने के लिये नाक के अन्दर बाल और चिकना माद्दा पैदा कर दिया जिस की वजह से जरासीम माददे अन्दर तक नहीं जा पाते, इस तरह इन्सान नाक और फेफड़ों की बहुत सी बीमारियों से महफूज़ हो जाता है।

वाक़ई अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से मामूली सी चीजों के जरिये इन्सान को बड़ी बड़ी बीमारियों से महफूज कर दिया है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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बिजली कुंदना अल्लाह की कुदरत

बारिश के आने से पहले आसमान पर तह ब तह बादल जमा होना शुरू हो जाते हैं, लेकिन अल्लाह की कुदरत का नजारा देखिये के इन बादलों में न कोई मशीन फिट होती है और न ही किसी किस का कोई जनरेटर लगा होता है।

मगर इन घने बादलों में अल्लाह बिजली की ऐसी चमक और कड़क पैदा कर देता है के रात की तारीकी में भी उजाला फैल जाता है और कभी कभी इतनी सख्त गरज्ती और बिजली कुंदती है के दिलों में घबराहट और सारे माहौल में खौफ तारी हो जाता है।

बेशक यह अल्लाह तआला की कुदरत की दलील है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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समुन्दर इन्सानों की गिजा का ज़रिया है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह तआला ही ने समुन्दर को तुम्हारे काम में लगा दिया है, ताके तुम उस में से ताज़ा गोश्त खाओ और उसमें से जेवरात (मोती वगैरह) निकालो जिन को तुम पहनते हो और तुम कश्तियों को देखते हो, के वह दरिया में पानी चिरती हुई चली जा रही है, ताकि तुम अल्लाह तआला का फज़ल यानी रोजी तलाश कर सको और तुम शुक्र अदा करते रहो।”

📕 सूरह नहल : १४

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आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)

आतिश फिशाँ वह आग है, जो ज़मीन के अन्दर की धातों को पिघला कर बाहर निकालती है, जब वह बाहर निकलती है, तो बेपनाह जानी माली नुकसान होता है, यही नहीं बल्के चिकना और चटयल मैदान बना देता है। दुनिया के तरक्क्रीयाफ्ता लोग आज तक इसकी रोकथाम के लिये न कोई मशीन, न कोई इंतेज़ाम और न कोई मालूमात खास हासिल कर सके, के कब निकलेगा, कितना निकलेगा, कहाँ से निकलेगा और कब तक निकलेगा।

यह कौन है जो जमीन से आग का गोला निकालता है। यकीनन वह अल्लाह ही की जात है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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बारिश में कुदरती निज़ाम

अल्लाह तआला बादलों के जरिये इतनी बुलन्दी से बारिश बरसाता हैं के अगर वह अपनी रफ्तार में से ज़मीन पर गिरती तो जमीन में बड़े बड़े गढ़े हो जाते और तमाम जानदार, हैवानात, पेड़ पौधे, खेती-बाड़ी सब फ़ना हो जाते। 

लेकिन अल्लाह तआला ने फिजा में अपनी कुदरत से इतनी रुकावटें खड़ी कर दी हैं के तेज रफ्तार बारिश उनसे गुजर कर जब ज़मीन पर आती है तो इन्तेहाई धीमी हो जाती है, जिस से दूनिया की तमाम चीजें तबाह व बरबाद होने से महफुज हो जाती हैं। 

बेशक यह अल्लाह का कुदरती निजाम है जो बारिश को इतने अच्छे अन्दाज में बरसाता है।

📕 अल्लाह की कुदरत

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मच्छर में अल्लाह की क़ुदरत

अल्लाह तआला ने छोटी बड़ी बेशुमार मखलूक पैदा फ़रमाई है कोई भी चीज़ कुदरत के कारखाने में निकम्मी और बेकार नहीं है। मच्छर ही पर गौर कीजिए तो उस की बनावट अल्लाह की कुदरत का करिश्मा मालूम होती है।

वह जब इन्सान के जिस्म पर बैठता है तो अपनी सुंड जिल्द के मसामात में दाखिल कर देता है और पेट भर कर खून चुस लेता है और हैरत की बात के उस की सूंड इतनी बारीक होने के बावजूद नल्की (Pipe) की तरह होती है।

आखिर उस की इतनी बारीक सूंड में सूराख किसने पैदा किया? बेशक यह अल्लाह ही की कुदरत की दलील है।

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