Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हज़रत इदरीस (अ.स)
- 2. अल्लाह की कुदरत
- चाँद का फायदा
- 3. एक फर्ज के बारे में
- पाँचों नमाजें अदा करने पर बशारत
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- गर्दन का मसह करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- माहे मुहर्रम में रोजे का सवाब
- 6. एक गुनाह के बारे में
- शराब पीने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया में सादगी इख्तियार करना
- 8. आख़िरत के बारे में
- जन्नत के फल
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- नमाज में शिफा
- 10. कुरआन की नसीहत
- उन लोगों की तरह मत हो जाना जो
9. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
9 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत इदरीस (अ.स)
हज़रत इदरीस (अ.स) मशहूर नबी हैं, वह हज़रत आदम (अ.स) की वफ़ात से तकरीबन सौ साला और हजरत नूह से एक हजार साल पहले शहर बाबुल में पैदा हुए। उन्होंने हजरत शीस (अ.स) से इल्म हासिल किया। इल्मे नुजूम, इल्मे हिसाब, सिलाई, नापतौल, असलिहा साजी और फन्ने तहरी व किताबत के मजिद और बानी हजरत इदरीस हैं।
उनके ज़माने में मुतअदृद जबानें बोली जाती थीं, अल्लाह तआला ने उन को सारी ज़बानें सिखाई, चुनांचे वह लोगों से उन्हीं की ज़बान में बातचीत किया करते थे। कुरआन पाक में उन का इस तरह जिक्र किया गया है के वह बड़े सच्चे और सब्र करने वाले नबी थे।
उन को क़ुर्बे खुदावन्दी का ऊँचा मर्तबा अता किया गया था। तारीख लिखने वालो ने आपके अखलाक का तजकिरा इस तरह किया है के गुफ्तगू में सन्जीदा, खामोश तबीअत थे, चलते वक्त जमीन पर निगाह रखते और बात करते वक्त शहादत की उंगली से बार बार इशारा फर्माते थे। पूरी जिंन्दगी दावत व तब्लीग में गुजार दी।
तफ्सीली जानकारी के लिए पढ़े :
हज़रत इदरीस अलैहि सलाम ~ क़सस उल अंबिया
2. अल्लाह की कुदरत
चाँद का फायदा
अल्लाह तआला ने हमारे फायदे के लिये चाँद बनाया, वह हमें ठंडी ठंडी रौश्नी देता है, जिससे पेड़ पौधे फल फूल और दानो में रस पैदा होता है। अल्लाह तआला ने उस की गर्दिश के लिये मंजिलें मुकर्रर कर रखी हैं, वह हर रोज एक मंजिल तय करता है और आखिर में घटते घटते खजूर की पुरानी शाख की तरह रह जाता है।
जहाँ चाँद की रौश्नी और उस की गर्दिश से बेशुमार दुनियावी फायदे हासिल होते है, वहीं उसके ज़रिये इबादत और हज वगैरह के औकात भी मालूम हो जाते हैं।
ग़र्ज़ चाँद का रौशनी फैलाना और उस का घटते बढ़ते रहना कुदरते खुदावन्दी की जबरदस्त निशानी है।
3. एक फर्ज के बारे में
पाँचों नमाजें अदा करने पर बशारत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया के अल्लाह तआला फर्माता है:
“मैंने आप की उम्मत पर पाँच नमाजे फर्ज की हैं
और इस बात का अहेद कर लिया है के जो शख्स इन (पाँचों नमाज़ों) को वक़्त पर पाबन्दी से अदा करेगा तो मैं उसको जन्नत में दाखिल कर दूंगा और जो उसे पाबन्दी से अदा नही करेगा, तो उसके लिये मेरे पास कोई अहेद नहीं।”
📕 अबू दाऊद : ४३०, अन अबी क़तादा (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
गर्दन का मसह करना
हज़रत तल्हा (र.अ) अपने दादा से रिवायत करते हैं के, वह बयान करते थे के –
उन्होने रसूलुल्लाह को (ﷺ) वुजू करते हुए देखा के आप (ﷺ) ने सर का मसह किया और फिर दोनों हाथों को (मसह करते हुए) गुद्दी पर फेरा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
माहे मुहर्रम में रोजे का सवाब
रसूलल्लाह से अशुरा (10 मुहर्रम) के दिन के रोज़े के बारे में पूछा तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया –
“ये गुज़रे हुए साल के गुनाहों का कफ़्फ़ारा है।”
6. एक गुनाह के बारे में
शराब पीने का गुनाह
हजरत इब्ने उमर (र.अ) ने फर्माया:
“अगर कोई शख्स शराब पीकर नशे की हालत में मर गया, तो (गोया के वह) काफिर मरा।”
📕 नसई: ५६७१, अन इब्ने उमर (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में सादगी इख्तियार करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
ऐ आयशा ! अगर तुम (कयामत के दिन) मुझसे मिलना चाहती हो, तो बस तुम्हारे लिये इतना ही माल काफी है, जितना एक मुसाफिर के पास होता है और अपने आप को मालदारों की सोहबत से बचाए रखना और पुराने फटे हुए कपड़े को पेवन्द लगा कर इस्तेमाल करती रहना।
📕 तिर्मिज़ी : १७८०, अन आयशा (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत के फल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जन्नत में लोगों की यह हालत होगी के उन पर (जन्नत के) दरख्तों के साए झुके हुए होंगे और जन्नत के फल उन के इख्तियार में दे दिये जाएँगे।” (यानी जहाँ से जो फल चाहेंगे खाएँगे)।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
नमाज में शिफा
हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के मैं नमाज़ से फारिग होकर
आप (ﷺ) की खिदमत में आ कर बैठ गया
फिर आप (ﷺ) ने मेरी तरफ तवज्जोह फरमाते हुए इर्शाद फर्माया : क्या तुम्हारे पेट में दर्द है ?
मैंने कहा: जी हाँ या रसूलल्लाह! तो आप (ﷺ) ने फर्माया:
“उठो नमाज़ पढ़ो, क्यों कि नमाज़ में शिफा है।”
नोट: नमाज़ अहेम तरीन इबादत होने के साथ बहुत सी रूहानी और जिस्मानी बीमारियों का इलाज भी है, इस लिये नमाज को इबादत समझ कर ही अदा करना चाहिये।
10. कुरआन की नसीहत
उन लोगों की तरह मत हो जाना जो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम उन लोगों की तरह मत हो जाना जो आपस में एक दूसरे से जुदा हो गए और इख्तेलाफ करने लगे जब के उन के पास साफ साफ दलाइल आ चुके थे, ऐसे ही लोगों के लिये बड़ा अजाब होगा।”
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