Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- सफा पहाड़ पर इस्लाम की दावत
- 2. अल्लाह की कुदरत
- रेडियम में अल्लाह की कुदरत
- 3. एक फर्ज के बारे में
- हज किन लोगों पर फर्ज है ?
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- गुस्ल करने का सुन्नत तरीका
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- सूद खाने का अजाब
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया के पीछे भागने का वबाल
- 8. आख़िरत के बारे में
- जहन्नम का जोश
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- मिस्वाक के फायदे
- 10. क़ुरान की नसीहत
- अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो
7 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
सफा पहाड़ पर इस्लाम की दावत
नुबुव्वत मिलने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन साल तक पोशीदा तौर पर दीन की दावत देते रहे, फिर अल्लाह तआला की तरफ से हुजूर (ﷺ) को खुल्लमखुल्ला इस्लाम की दावत देने का हुक्म हुआ, इस हुक्म के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सफा पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर मक्का के तमाम खानदान वालों को आवाज़ दी, जब सब लोग जमा हो गए, तो आपने फ़रमाया : “ऐ लोगो ! अगर मैं तुमसे यह कहूँ के इस पहाड़ के पीछे एक लश्कर आ रहा है जो अनकरीब तुम पर हमला करने वाला है, तो क्या तुम इस बात का यकीन करोगे?”
सब एक ज़बान हो कर बोले: “क्यों नहीं! आप तो सादिक और अमीन हैं।” फिर आप ने फ़र्माया: “लोगो! एक अल्लाह पर ईमान लाओ और बुतों की इबादत छोड़ दो, मैं तुम को एक सख्त अज़ाब से डराने और आगाह करने आया हूँ, जो बिल्कुल तुम्हारे सामने है।”
यह सुन कर सभी लोग सख्त नाराज हए. उनमें आपका सगा चचा अबू लहब आपके साथ सख्त कलामी से पेश आया, जिस के जवाब में अल्लाह तआला ने अबू लहब और उस की बीवी उम्मे जमील की तबाही के बारे में सूर-ए-लहब नाजिल फरमाई।
2. अल्लाह की कुदरत
रेडियम में अल्लाह की कुदरत
अल्लाह तआला ने इस कारखान-ए-आलम में मुख्तलिफ किस्म की कीमती चीजें पैदा फ़रमाई हैं, इन चीजों में एक कीमती चीज़ रेडियम भी है, यह एक चमकती हुइ चीज़ है, जो सोने से कई गुना ज़ियादा कीमती होता है। इसका वजूद पूरी दुनिया में चन्द सेर से ज्यादा नहीं।
इस कीमती जौहर के अन्दर बगैर बिजलीया तेल के इस कद्र चमक किस हस्तीने पैदा फ़रमाई ? बेशक यह अल्लाह तआला ही की कुदरत का करिश्मा है।
3. एक फर्ज के बारे में
हज किन लोगों पर फर्ज है ?
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतुल्लाह का हज करना (फर्ज) है, जो वहाँ तक पहुँचने की ताकत रखते हों।”
4. एक सुन्नत के बारे में
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।”
6. एक गुनाह के बारे में
सूद खाने का अजाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया के पीछे भागने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया के पीछे पड़ जाए, उस का अल्लाह तआला से कोई तअल्लुक़ नहीं और जो (दुनियावी मक्सद के लिये) अपने आप को खुशी से जलील करे, उस का हम से कोई तअल्लुक़ नहीं।”
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नम का जोश
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
मिस्वाक के फायदे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :
“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।
10. क़ुरान की नसीहत
अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”
इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।
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