4. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
4 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत यूसुफ (अ.स) की नुबुय्वत व हुकूमत
अल्लाह तआला ने हजरत यूसुफ (अ.स) को ईमान व तौहीद और वही की बरकतों से नवाजा था, की अगरचे शुरू में माल व दौलत, दुनियावी तरक्की और शहरी जिन्दगी उन्हें हासिल नहीं थी और देहात की सादा और बेतकल्लुफ ज़िन्दगी गुजारते थे, मगर कुदरते इलाही का करिश्मा देखिये के देहात के रहने वाले अपनी ख्वाहिश व मर्जी के बगैर मिस्र जैसे तहज़ीब व तमददुन वाले मुल्क में पहुँच गए और इम्तेहान व आजमाइश के मुख्तलिफ मरहलों से गुजरते हुए वहाँ के बादशाह के पास पहुँच गए।
फिर एक मर्तबा बादशाह के एक ख्वाब की ताबीर बताने के बाद मुल्के मिस्र की सूरतेहाल का तजकेरा करते हुए फर्माया: कहत साली के इस दौर में हुकूमत को कामयाबी के साथ चलाने की सलाहियत और तबाही से निकालने की तदबीर और मुल्क की गिरती हुई मईशत (Economy) की हिफाज़त करना मैं जानता हूँ।
जब अज़ीज़े मिस्र ने ख्वाब की सही ताबीर और हजरत यूसुफ (अ.स) की अमानत व दियानत और सादगी व सच्चाई को अपनी आँखों से देख लिया, तो हकूमत के ओहदे दारों और आम व खास शहरियों को जमा करके तख्त व हकूमत आपके हवाले कर दी।
इस तरह नुबुव्वत के साथ उन्होंने मिस्र पर ८० साल तक कामयाब हुकूमत करते हुए १२० साल की उम्र में इन्तेकाल फ़रमाया।
तफ्सील में पढ़े: हज़रत युसूफ अलैहि सलाम | क़सस उल अँबियाँ
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
सूखे थन का दूध से भर जाना
हजरत उम्मे माबद (र.अ) फर्माती है के हिजरत के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र मेरे पास से हुआ,
आप का सामान ख़त्म हो चुका था, मेरे पास भी कुछ नहीं था, अल्बल्ता एक कमजोर सी बकरी थी, आपकी नजर उस बकरी पर पड़ी तो आप (ﷺ) ने फर्माया: क्या तुम इजाजत देती हो के मैं इसको (दूध) दूह लें ?
मैं ने अर्ज किया: ठीक है। बस आप का उस बकरी के थन पर हाथ फेरना ही था, के वह दूध से भर गया और बहने लगा। तमाम लोगों ने खूब पिया।
जब अबू मावद (र.अ) घर आए तो दूध देख कर पूछा: उम्मे माबद ! यह क्या है?
मैं (यानी उम्मे माबद) ने जवाब दिया : हमारे पास से एक बहुत ही बाबरकत आदमी का गुजर हुआ है, यह खैर व बरकत उसी की वजह से है।
📕 तबरानी कबीर : ३५२४, अन हुबैश बिन खालिद (र.अ)
3. एक फर्ज के बारे में
औलाद की मीरास में माँ बाप का हिस्सा
कुरआन मे अल्लाह तआला फर्माता है :
“माँ बाप (में से हर एक) के लिये मय्यित के छोड़े हुए माल में छटा हिस्सा है, अगर मय्यित के लिये कोई औलाद हो।”
खुलासा: अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उसके वरसा में माँ बाप और औलाद हैं तो माँ बाप में से हर एक को अलग अलग छटा हिस्सा देना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
परेशानी के वक्त में क़ुरआनी दुआ
जब कोई शख्स किसी परेशानी में मुब्तला हो जाए, तो यह दुआ कसरत से पढ़े:
حَسْبِىَ ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ ٱلْعَرْشِ ٱلْعَظِيمِ
“hasbiya Allahu la ilaha illa huwa AAalayhi tawakkaltu wahuwa rabbu alAAarshi alAAatheemi”
तर्जमा: मेरे लिये अल्लाह ही काफी है, उसके सिवा कोई इबादत के लाएक नहीं, मैंने उसी पर भरोसा किया और वही अर्श अजीम का रब है।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के जिक्र की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो लोग अल्लाह तआला का जिक्र करने के लिये बैठते है, उन को फरिश्ते घेर लेते हैं और उन पर अल्लाह की रहमत छा जाती है और उनको दिली सकून हासिल होता है।”
📕 मुस्लिम : ६८५५. अन अबी हुरैराह व अबी सईद (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स उस (गवाही) को छुपाएगा, तो बिलाशुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किये हुए कामों को खूब जानता है।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया का सामान चंद रोज़ा है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“दुनिया का सामान कुछ ही दिन रहने वाला है और उस शख्स के लिये आखिरत हर तरह से बेहतर है जो अल्लाह तआला से डरता हो और (क़यामत) में तुम पर ज़र्रा बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत की इमारत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“(जन्नत की इमारत) की एक ईंट चाँदी की और एक ईंट सोने की है। और उस का गारा ख़ालिस मुश्क है और उस की कंकरियाँ मोती और याकूत हैं और उस की मिट्टी जाफरान है।”
📕 तिर्मिज़ी : २५२६, अन अबी हुरैरह (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
मेंहदी से जख्म का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब भी कोई कांटा चुभा या जख्म हुआ तो आप (ﷺ) ने उस पर मेंहदी लगाई।
📕 इब्ने माजा : ३५०२, अन सल्मा उम्मे राफेअ (र.अ)
फायदा: मेंहदी जरासीम को खत्म करती है, जलन और सूजन को दूर करती है नीज इस में दूसरे भी बहुत से फवाइद हैं।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
गैरऔरत पर दूसरी निगाह शैतानी है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“ऐ अली ! अगर किसी औरत पर अचानक निगाह पड़ जाए तो नजर फेर लो, दूसरी निगाह उस पर न डालो, पहली निगाह तो तुम्हारी है और दूसरी निगाह तुम्हारी नहीं है (बल्के शैतान की है)।”