29. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

29 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

29. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
29 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

कौमे लूत पर अजाब

अल्लाह तआला ने हजरत लूत (अ.स) को अहले सदूम की हिदायत व इस्लाह के लिये नबी बना कर भेजा। यह लोग बड़े सरकश व नाफर्मान और गुनहगार थे, औरतों के बजाए मर्दों से ख्वाहिश पूरी करना, बाहर से आने वाले ताजिरों का माल हीले बहाने कर के लूट लेना और भरी मज्लिस में खुल्लम खुल्ला गुनाह करना उन की फितरत बन गई थीं। 

हज़रत लूत (अ.स) ने उन को तमाम बुराइयों और गुनाहों से बचने की नसीहत फर्माई, अल्लाह तआला का दीन कबूल करने की दावत दी और उसके अज़ाब से डरने का हुक्म दिया, मगर उन की इस दावत व नसीहत का कौम पर कोई असर नहीं हुआ।

और गुनाहों से बाज रहने के बजाए, आप को पत्थर मार कर बस्ती से बाहर निकाल देने के धमकी देने लगे और मजाक करते हुए अज़ाबे इलाही का मुतालबा करने लगे। 

हजरत लूत के बार बार समझाने के बावजूद वह अपनी जिद और हटधर्मी से बाज नहीं आए, तो अल्लाह तआला ने उस नापाक कौम को दुनिया से मिटाने के लिये अज़ाब के फरिश्तों को भेज दिया।

हजरत लूत (अ.स) फरिश्तों के इशारे पर अपने घरवालों और ईमान वालों को लेकर सिन नामी बस्ती में चले गए और सुबह होते ही एक भयानक और जोरदार चींख ने सारे शहर वालों को हलाक कर दिया। फिर हजरत जिब्रईलने उस बस्ती को आस्मान की तरफ उठाकर जमीन पर पटख दिया और ऊपर से पत्थरों की बारिश कर के पूरी कौम को अज़ाबे इलाही से हलाक कर दिया।

तफ्सील में पढ़े: कौमे लूत पर अल्लाह का अजाब

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

दरख्तों के पत्तों के फायदे

अल्लाह तआला ने हजारों किस्म के दरख्त पैदा फर्माए जिन पर बेशुमार पत्ते होते हैं। उनके बहुत सारे फायदे हैं। यह पत्ते हमारे लिये ताज़ा और सेहत मन्द ऑक्सीजन बनाते हैं और जहरीली गैस अपने अन्दर जज्ब करते रहते हैं।

अगर अल्लाह तआला उन पत्तों में यह सलाहियत पैदा न करते, तो फ़ज़ा में जहरीली गैस फैल जाती। जिस के नतीजे में इन्सानों को बहुत सी बीमारियाँ लाहिक़ हो जाती और इन्सानों का जीना मुश्किल हो जाता।

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से दरख्तों के उन पत्तों को बना कर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है। वाकई वह अपने बन्दों पर बड़ा मेहरबान है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

दीन में नमाज़ की अहेमियत

एक शख्स ने आप (ﷺ) से अर्ज किया : 

“ऐ अल्लाह के रसूल! इस्लाम में अल्लाह के नज़दीक सब से जियादा पसन्दीदा अमल क्या है?”

आप (ﷺ) ने फर्माया :

“नमाज को उस के वक़्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उस का कोई दीन नहीं है और नमाज़ दीन का सुतन।”

📕 बैहकी फी शुअबिल ईमान: २६८३, अन उमर (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

गरीब व मिस्कीन से मुलाकात करना

हज़रत सहल बिन हुनैफ (र.अ) कहते हैं के:

आप (ﷺ) कमजोर गुरबा मुस्लिमीन से मुलाक़ात फरमाते, उनमें कोई बीमार पड़ जाता तो, उन की इयादत करते और उन के जनाजे में हाजिर होते थे।

📕 मुस्तदरक हाकिम : ३७३५


5. एक अहेम अमल की फजीलत

तीन अहेम खस्लतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस आदमी में तीन चीजें होंगी, अल्लाह तआला उस को अपनी रहमत में ले लेगा।
(१) कमज़ोरों के साथ नर्मी करना (२) वालिदैन के साथ मेहरबानी करना (३) गुलामों के साथ एहसान करना।”

📕 तिर्मिज़ी : २४९४, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

क़यामत के दिन सब से बदहाल शख्स

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“कयामत के दिन सबसे बुरे हाल में उस आदमी को पाओगे जो कुछ के पास जाता है, तो उसकी बात का रूख और होता है (और) जब उनके मुकाबिल के पास आता है तो दूसरी किस्म की बात करता है।”

📕 मुस्लिम: ६४५४, अन अबी हुरैरह (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

सहाबा की दुनिया से बेजारी

हजरत अबू हुरैरह (र.अ) कुछ लोगों के पास से गुजरे, जिन के हाथों में भूनी हुई बकरी थी, उन लोगों ने हजरत अबू हुरैरह (र.अ) को (खाने के लिये बुलाया) तो उन्होने इन्कार कर दिया और कहा के रसुलल्लाह (ﷺ) इसी हाल में दुनिया से चले गए के जौ की रोटी भी पेटभर कभी नहीं खाई।

📕 बुखारी : ५४१४


8. आख़िरत के बारे में

जहन्नम का गुस्सा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जब जहन्नमी लोग जहन्नम में डाले जाएंगे, तो उसकी खौफनाक आवाज़ सुनेंगे और वह ऐसी भड़क रही होगी के (गोया) गुस्से के मारे फट जाएगी।”

📕 सूरह मुल्क : ७ ता ८


9. तिब्बे नबवी से इलाज

सफरजल (Pear) से दिल का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“सफरजल (बही) खाओ क्योंकि यह दिल को राहत व कुवत पहुँचाता है।”

📕 कन्जुल उम्माल: २८२५६


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह तआला हर चीज़ का हिसाब लेगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जब तुम को कोई सलाम करे, तो तुम उस से अच्छे अलफाज़ में सलाम करो (यानी उस का जवाब दो) या वैसे ही अलफाज कह दो, बिला शुबा अल्लाह तआला हर चीज़ का हिसाब लेगा।”

📕 सूरह निसा : ८६

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