Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की मुबारक पैदाइश
- 2. अल्लाह की कुदरत
- अबाबील परिन्दा
- 3. एक फर्ज के बारे में
- वालिदैन के साथ अच्छा बर्ताव करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- खुशी के वक्त सज्द-ए-शुक्र अदा करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- मुतल्लका / बेवा बेटी की कफालत की फजीलत
- 6. एक गुनाह के बारे में
- इल्मे दीन को छुपाने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- माल आरियत है
- 8. आख़िरत के बारे में
- क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- गुर्दे की बीमारियों का इलाज
- 10. क़ुरान की नसीहत
- गुनाह देख कर खामोश ना रहो
23 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
रसूलुल्लाह (ﷺ) की मुबारक पैदाइश
आखरी नबी हज़रत मोहम्मद (ﷺ) की मुबारक पैदाइश मक्का मुकर्रमा में माहे रबीउल अव्वल मुताबिक़ माहे अप्रैल ५७१ ईसवी पीर के दिन ऐसे माहौल में हुई के पूरी दुनिया पर कुफ्र व शिर्क की तारीकी छाई हुई थी और इन्सानियत गुमराही में भटक रही थी, गोया रूहानी तौर पर हर तरफ अंधेरा फैला हुआ था और जो अल्लाह हर रोज़ चाँद, सूरज और सितारों के ज़रिये सारे आलम को रौशन करता था, आज उस ने इन्सानों के तारीक दिलों को अपनी इबादत व बन्दगी की रौशनी अता करने के लिये अपने प्यारे बन्दे हज़रत मुहम्मद स० को हिदायत का आफताब बना कर सय्यिदा आमिना के घर पैदा फ़रमाया।
पैदाइश के बाद दादा अब्दुल मुत्तलिब ने ‘मुहम्मद’ नाम रखा। यह नाम अरब में बिलकुल अनोखा था। लोगों ने अब्दुल मुत्तलिब से अपने पोते का नया नाम रखने की वजह मालूम की, तो उन्होंने कहा के मेरे पोते की पूरी दुनिया में तारीफ की जाएगी, इस लिये मैं ने यह नाम रखा है।
फिर आपकी पैदाइश की खुशी में आप के दादा अब्दुल मुत्तलिब ने अकीक़ा किया और तमाम कुरैश को दावत दी।
2. अल्लाह की कुदरत
अबाबील परिन्दा
कुरआन के बयान के मुताबिक अबाबील परिन्दों ने अबरहा के लश्कर को कंकरियों के ज़रिये हलाक किया था। अल्लाह तआला ने इन परिन्दों को बड़ी अक्ल वज़हानत अता फरमाई है, यह तिनके और गारे से बड़ी महारत के साथ अपना घर बनाती हैं और अपने बच्चों को भी गंदगी से पाक साफ और बीट न करने की तालीम देती हैं, चमगादड़ उनके बच्चों का बड़ा दुश्मन है।
इस लिये अपने बच्चों की हिफाज़त के लिये घर में अजवाइन की लकड़ियाँ रख देती हैं जिन से वह उनके घर के करीब भी नहीं जाती।
बिलाशुबा इस छोटे से परिन्दे की अक्ल व ज़हानत अल्लाह की कुदरत की एक निशानी है।
3. एक फर्ज के बारे में
वालिदैन के साथ अच्छा बर्ताव करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :
“वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करो।”
फायदा- वालिदैन बड़ी मशक्कत व मेहनत से बच्चों की परवरिश करते हैं. इसलिये वालिदैन के साथ अच्छाई का मामला करना और उन की ज़रूरियात को अपनी ताक़त और हैसियत के मुताबिक़ पूरा करना फ़र्ज़ है।
4. एक सुन्नत के बारे में
खुशी के वक्त सज्द-ए-शुक्र अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खुशी का मौक़ा आता या कोई खुशखबरी सुनाई जाती, तो आप (ﷺ) सज्दा ए-शुक्र अदा करते।
📕 अबू दाऊद: २७७४, अन अबी बकरह रज़ि०
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मुतल्लका / बेवा बेटी की कफालत की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक मर्तबा फ़रमाया –
“क्या मैं तुम्हें बेहतरीन सदक़ा न बताऊं? तेरी वह लड़की जो लौट कर तेरे ही पास आ गई हो और उसके लिये तेरे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जाएगा वह बेहतरीन सदक़ा है।)”
📕 इब्ने माजा : ३६६७, अन सुराका दिन मालिक रज़ि०
6. एक गुनाह के बारे में
इल्मे दीन को छुपाने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिसने इल्म को छुपाया, क़यामत के दिन उस को आग की लगाम पहनाई जाएगी।”
📕 तबरानी कबीर: १०६८९, अन इब्ने अब्बास रज़ि०
7. दुनिया के बारे में
माल आरियत है
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं –
“तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।”
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है –
“हमने तुमको एक करीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया है (जो उस दिन आएगा) जिस दिन आदमी अपने उन आमाल को देख लेगा, जो उस ने अपने हाथों से किये होंगे और उस दिन काफिर कहेगा, काश! मैं मिट्टी हो जाता।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
गुर्दे की बीमारियों का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”
📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०
फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
10. क़ुरान की नसीहत
गुनाह देख कर खामोश ना रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।”