Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हजरत अबू बक्र (र.अ) की खिलाफ़त और कारनामे
- 2. एक फ़र्ज़ के बारे में
- गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना
- गुस्ल जनाबत के लिए औरतो का बाल खोलना जरुरी नहीं।
- हैज़ के गुस्ल लिए बालों को खोलना ज़रूरी है।
- 3. एक सुन्नत के बारे में
- रजब व शाबान की दुआ
- 4. एक अहेम अमल की फजीलत
- दो रकात तहिय्यतुल वुजू अदा करना
- 5. एक गुनाह के बारे में
- अल्लाह तआला के साथ शिर्क करना
- 6. दुनिया के बारे में
- दुनिया की जीनत काफ़िरों के लिए
- 7. आख़िरत के बारे में
- मुर्दे की हालत
- 8. नबी (ﷺ) की नसीहत
- सलाम को खूब फैलाओ गरीबों को खाना खिलाओ
2 Rajab | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत अबू बक्र (र.अ) की खिलाफ़त और कारनामे
रसूलुल्लाह (ﷺ) के बाद अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) मुसलमानों के पहले खलीफा बने।
तकरीबन सवा दो साल की मुद्दत में बड़े बड़े कारनामे अंजाम दिए, जिन में मुसलमानों के खिलाफ़ जंग करने वालों के मुकाबले के लिए लश्कर तय्यार करना, झूठी नुबुव्वत का दावा करने वालों का ख़ातमा करना, इस्लाम से फिर जाने और ज़कात का इन्कार करने वालों से मुकाबला करना, मुनाफिकीन की साजिशों को खत्म करना, मुसलमानों के सख्त दुश्मन इसाई बादशाह हिरक्ल के खिलाफ़ फौज रवाना फर्माना आप के अहेम कारनामे हैं।
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) बहुत ही सादा जिंदगी के मालिक थे, हर एक से मिल जुल कर रहते, जरुरतमंदों का खयाल रखते, मेहमानों को खाना खिलाते, परेशानी में दूसरों के काम आते, कपड़े की तिजारत कर के अपना गुजर बसर करते। जब खलीफ़ा बनाए गए तो सहाबा के मश्वरे से एक आम मुहाजिर सहाबी की तरह बैतुल माल से वज़ीफ़ा मुकर्रर किया गया, जिस की मिकदार इतनी मामूली थी, के जब बीवी ने एक मर्तबा मीठी चीज़ खाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की, तो पैसा न होने की वजह से उन की फ़र्माइश पूरी न कर सके।
उन्होंने जुमादल उखरा सन १३ हिजरी को पीर के दिन ६३ साल की उम्र में वफ़ात पाई।
2. एक फ़र्ज़ के बारे में
गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ और बदन को अच्छी तरह साफ़ करो।”
(तिमिजी : १०६, अन अबी हुरैरहा (र.अ)
फायदा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी का पहुंचाना फ़र्ज़ है।
इस लिए खुसुसन सर के बालों, दाढी वगैरह की जड़ में पानी पहुंचाना चाहिए और
औरतों को अपने बाल खोल कर गुस्ल करना चाहिए ताके पानी बालों में पहुंच जाए।
गुस्ल जनाबत के लिए औरतो का बाल खोलना जरुरी नहीं।
सहीह मुस्लिम, हैज़, हदीस 330
इब्ने खुञ्जमा 1/123 हदीस 247,
मुस्लिम हैज़ हदीस 331
हैज़ के गुस्ल लिए बालों को खोलना ज़रूरी है।
हज़रत आइशा रज़ि० से रिवायत है कि उन्हें
रसूलुल्लाह सल्ल० ने गुस्ले हैज़ के लिए फ़रमाया :
“अपने बाल खोलो और गुस्ल करो।”
इब्ने माजा, तहारत, हदीस 641
3. एक सुन्नत के बारे में
रजब व शाबान की दुआ
जब रजब का महीना शुरू होता, तो हुजूर (ﷺ) है यह दुआ पढ़ते:
“ اَللّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِى رَجَبَ وَ شَعْبَانَ وَ بَلِّغْنَا رَمَضَان ”
“Allaahumma baarik lanaa fee rajaba wa sha,baana wa ballignaa ramaDHaan“
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! हमें रजब और शाबान के महीने में बरकत अता फर्मा और हमें रमजान तक पहुँचा।
[ मिश्कात : १३६९, अन अनस (र.अ) ]
4. एक अहेम अमल की फजीलत
दो रकात तहिय्यतुल वुजू अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी तरह वुजू कर के दो रकातें इस तरह अदा करे, के उस में अपने मन में कोई बात न की हो, तो उसके पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।”
[बुखारी : १५९, अन उस्मान बिन अफ्फान (र.अ) ]
5. एक गुनाह के बारे में
अल्लाह तआला के साथ शिर्क करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“बिला शुबा अल्लाह तआला शिर्क को माफ नहीं करेगा, शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ़ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उस ने अल्लाह के खिलाफ़ बहुत बड़ा झूट बोला।”
[ सूरह निसा : ४८ ]
6. दुनिया के बारे में
दुनिया की जीनत काफ़िरों के लिए
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“दुनिया की जिंदगी तो काफ़िरों के लिए संवार दी गई है (न के मुसलमानों के लिए)
और (काफ़िर लोग) मुसलमानों का मजाक उड़ाते हैं;
हालांके जो मुसलमान कुफ्र व शिर्क से बचते हैं,
वह कयामत के दिन उन काफ़िरों से दर्जों में बुलंद होंगे,
(आदमी को अपनी दुनियादारी और मालदारी पर गुरुर न करना चाहिए क्योंकि)
अल्लाह तआला जिस को चाहता हैं बे हिसाब रोजी दे देता हैं
(इस लिए मालदार होना कोई फक्र की चीज़ नहीं)।”
[ सूरह बकरा : २१२ ]
7. आख़िरत के बारे में
मुर्दे की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मुर्दे को लोग उठा कर चलते हैं, तो अगर वह नेक होता है, तो वह कहता है : मुझे जल्दी आगे बढ़ाओ और अगर वह बुरा होता है, तो वह कहता है : अरे मेरी हलाकत आई, तुम कहां लेजा रहे हो?
उस की आवाज़ को जिन व इन्स के सिवा अल्लाह तआला की तमाम मखलूकात सुनती है;
अगर उस की आवाज इन्सान सुन ले, तो बेहोश हो जाए।”
[ बुखारी : १३१४, अन अबी सईद खुदरी (र.अ) ]
8. नबी (ﷺ) की नसीहत
सलाम को खूब फैलाओ गरीबों को खाना खिलाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! सलाम को खूब फैलाओ गरीबों को खाना खिलाया करो, रात को जब लोग सो रहे हों तो तुम नमाज पढ़ा करो, इन बातों से तुम सलामती के साथ जन्नत में दाखिल हो जाओगे।”
[ तिर्मिज़ी : २४८५, अन अब्दुल्ला बिन सलाम (र.अ) ]
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