17 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

17 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

17 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हमराउल असद पर तीन रोज कयाम

ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,
हमें मुकम्मल तौर पर फतह हासिल करना चाहिये, तो (नऊज़ बिल्लाह) मुहम्मद (ﷺ) को कत्ल क्यों न करूँ ?
चलो ! वापस जाकर मुसलमानों को सफ्ह-ए-हस्ती से मिटा कर आएँ।

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) को इस की इत्तेला मिली तो आप (ﷺ) ने मुसलमानों को
उस का पीछा करने का हुक्म दिया, जो जंगे उहुद में शरीक थे,
मुसलमान जखमी और खस्ता हाल होने के बावजूद
फौरन तय्यार हो गए और मदीना से आठ मील दूर हमराउल असद मक़ाम पर पड़ाव डाला।

जब अबू सुफियान को उन की बहादुरी और शुजाअत का पता चला के
मुहम्मद (ﷺ) फिर अपने साथियों को ले कर मुकाबले के लिये पीछा कर रहे हैं,
तो उस पर खौफ तारी हो गया और सब की हिम्मत पस्त हो गई।

बिल आखिर अबू सुफियान अपनी जान बचाते हुए लश्कर ले कर मक्का भाग गया।
हुजूर (ﷺ) ने वहाँ तीन रोज कयाम फ़रमाया और इतमेनान के साथ वापस मदीना आ गए ।

📕 इस्लामी तारीख

To Be Continued …


2. अल्लाह की कुदरत

मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये,

इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे में पहुँचता है,
मेअदा उस को पकाता है, फिर उस गिजा का जो अच्छा हिस्सा होता है,
उस को बारीक रगों के रास्ते से जिगर तक पहुँचाता है।

फिर जिगर उस को खून में तब्दील करता है,
उस खून को बारीक रगों के रास्ते से पूरे जिस्म में बक्रदे जरूरत सप्लाई करता है,

और मेअदे में जो फासिद माद्दा होता है वह पेशाब व पाखाने के रास्ते से बाहर निकल जाता है।

तो हमे गौर करना चाहिए के अंदर का यह सारा निजाम कौन चला रहा है,
बिला शुबा वही अल्लाह वदहू लाशरीक है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाजात का जिम्मा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने सुबह (यानी फज़र) की नमाज़ अदा की, वह अल्लाह की हिफ़ाज़त में है।”

📕 मुस्लिम: १४९३


4. एक सुन्नत के बारे में

मूंछों को तराशना

रसूलुल्लाह (ﷺ) मूंछों को तराश्ते थे और फ़रमाया करते थे के –

“हजरत इब्राहीम (र.अ) भी ऐसा ही किया करते थे।”

📕 तिर्मिज़ी: २७६०


5. एक अहेम अमल की फजीलत

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”

📕 तबरानी कबीर : १६५८९


6. एक गुनाह के बारे में

आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह

रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है,
अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत
फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर
( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो

अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों
सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।”

📕 मुस्लिम: ६५४६


7. दुनिया के बारे में

दुनिया में लगे रहने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं
और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता।

और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है,
तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।”

📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०


8. आख़िरत के बारे में

कयामत के हालात : जब सूरज बेनूर हो जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”

📕 सूर तकवीर: १-६


9. तिब्बे नबवी से इलाज

आटे की छान से इलाज

۞ हदीस: हजरत उम्मे ऐमन (र.अ) आटे को छान कर
रसूलुल्लाह (ﷺ) के लिये रोटी तय्यार कर रही थीं के
आप (ﷺ) ने दरयाफ्त फ़रमाया: यह क्या है ?

उन्होंने अर्ज किया: यह हमारे मुल्क का खाना है, जो आप के लिये तय्यार कर रही हूँ।

तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : “तुम ने आटे में से जो कुछ छान कर
निकाला है उस को उसी में डाल दो और फिर गूंधो।”

📕 इब्ने माजा: ३३३६

फायदा : जदीद तहकीकात से मालूम हआ है के आटे की छान (भूसी) पुराने कब्ज
और ज़्याबेतीस के मरीजों के लिये बेहतरीन दवा है ।


10. क़ुरान की नसीहत

अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है,
जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के
लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें
और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे।

📕 सूरह साद : २९

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