रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”
📕 तिर्मिजी : ३५७९, अन अम्र बिन अबसा (र.अ)
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- हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।" 📕 सूरह अहज़ाब : ४० वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए…
- आखरी रात में वित्र का मौका ना मिले तो शुरू… रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।" 📕 मुस्लिम :…
- दीन के मुकम्मल होने का एलान रसूलुल्लाह (ﷺ) पर मैदाने अरफात में जुमा के दिन अस्र के बाद आख़री हज के मौके पर एक लाख से जाइद सहाब-ए-किराम के दर्मियान कुरआन की आयत नाज़िल हुई, वही के बोझ से आप (ﷺ) की ऊँटनी बैठ गई, उस में अल्लाह तआला ने खुशखबरी देते हुए फर्माया : "आज…
- आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई : "नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।" ( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।) 📕 अबू दाऊद: ५१५६
- ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई : "मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला…
- दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ। 📕 इब्ने माजा: ३८५१
- हज्जतुल विदाअ में आखरी खुतबा ९ जिल हज्जा १० हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने मैदाने अरफ़ात में एक लाख से ज़ियादा सहाब-ए-किराम के सामने आखरी खुतबा दिया, जो इल्म व हिकमत से भरा हुआ था और पूरी इन्सानियत का जामे दस्तूर था। इसमें आप (ﷺ) ने फर्माया : ऐ लोगो! मेरी बातें गौर से सुनो…