26 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
दावत व तबलीग़ का हुक्म
नुबुव्वत मिलने के बाद भी हुजूर (ﷺ) बादस्तूर गारे हिरा जाया करते थे। शुरू में सूरह अलक़ की इब्तेदाई पाँच आयतें नाज़िल हुईं, फिर कई दिनों तक कोई वहीं नाज़िल नहीं हुई। उस को “फतरतुल वह्य” का जमाना कहते हैं।
एक रोज़ आप गारे हिरा से तशरीफ ला रहे थे के एक आवाज़ आई, आप ने चारों तरफ घूम कर देखा, मगर कोई नजर नहीं आया। जब निगाह ऊपर उठाई,तो देखा के जमीन व आस्मान के दर्मियान हज़रत जिब्रईल (अ.) एक तख्त पर बैठे हुए हैं।
हज़रत जिब्रईल (अ.) को इस हालत में देख कर आप पर खौफ तारी हो गया और घर आकर चादर ओढ़ कर लेट गए। आप की यह अदा अल्लाह तबारक व तआला को पसंद आई और सूर-ए-मुदस्सिर की इब्तेदाई आयतें नाज़िल फ़रमाई।
“ऐ कपड़े में लिपटने वाले ! खड़े हो जाइये और (लोगों को) डराइये और अपने पर्दरदिगार की बड़ाई बयान कीजिए और अपने कपड़ों को पाक साफ रखिये और हर किस्म की नापाकी से दूर रहिये।”
[सूरह मुद्दस्सिर : १ ता ५]
इस तरह आप को दावत व तब्लीग का हुक्म भी दिया गया, चूँकि पूरी दुनिया सदियों से शिर्क व बुत परस्ती में मुब्तला थी और खुल्लम खुल्ला दावत देना मुश्किल था, इस लिये शुरू में पोशीदा तौर पर आपने इस्लाम की दावत देना शुरू की।
आपकी दावत से औरतों में सबसे पहले आपकी जौजा-ए-मुहतरमा हज़रत ख़दीजा ने, मर्दों में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (र.अ) ने और बच्चों में हजरत अली (र.अ) ने इस्लाम क़बूल किया।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
परिन्दों की परवरिश
चमगादड़ के अलावा तमाम परिन्दे अंडे देते हैं, वह उन पर बैठकर हरारत व गर्मी पहुंचाते हैं।
फिर कुछ दिनों के बाद उन अंडों से बच्चे निकल आते हैं, उन चूजों की गिजा के लिये अल्लाह तआला ने बेशुमार कीड़े मकोड़े पैदा कर दिये जिनको पकड़ कर परिन्दे अपने बच्चों के मुंह में डाल देते हैं।
जब उन के जिस्म में पर निकलने लगते हैं तो परिन्दे बड़ी आसानी के साथ खुद बख़ुद उड़ना सीख जाते हैं
आखिर उन परिन्दों को अंडों से बच्चे निकालने, परवरिश करने और उड़ने का सलीका कौन सीखाता है?
बेशक अल्लाह तआला ही ने अपनी कुदरत से उनकी पैदाइश और तरबियत व परवरिश का इन्तेजाम फ़रमाया है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ छोड़ने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स की एक नमाज़ भी फौत हो गई वह ऐसा है के गोया उस के घर के लोग और माल व दौलत सब छीन लिया गया।”
4. एक सुन्नत के बारे में
रुकू में हाथों को घुटनों पर रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) रुकू फरमाते, तो “अपने हाथों को घुटनों पर रखते, ऐसा लगता था जैसे उन को पकड़ रखा हो और दोनों हाथों को थोडा मोड़ कर पहलुओं से अलग रखते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
हर महीने के तीन दिन रोजे रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर महीने तीन दिन के रोजे रखना उम्र भर रोजा रखने जैसा है।“
6. एक गुनाह के बारे में
मुनाफ़िक की निशानियाँ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“मुनाफ़िक की तीन निशानियाँ हैं: जब बात करे तो झूट बोले, वादा करे तो पूरा न करे, जब कोई अमानत रखी जाए तो उस में खयानत करे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में चैन व सुकून नहीं है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“खबरदार ! दुनिया के बारे में जो कुछ मैं जानता हूँ, अगर तुम भी जानने लगो,
तो तुम्हें कभी दुनिया में चैन नसीब न हो।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“(अहले जन्नत) को सोने के कंगन पहनाए जाएंगे और सब्ज रंग के बारीक और मोटे रेशमी लिबास पहनेंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खुम्बी (मशरूम) से आँखों का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“खुम्बी का पानी ऑखों के लिये शिफा है।”
फायदा : हजरत अबू हुरैरह (र.अ) अपना वाकिआ बयान करते हैं, मैंने तीन या पाँच या सात खुम्बिया ली और उसका पानी निचोड़ कर एक शीशी में रख लिया, फिर वही पानी मैंने अपनी बाँदी की दूखती हुई आँख में डाला तो वह अच्छी हो गई। [तिर्मिजी: २०११]
नोट : खुम्बी को हिन्दुस्तान के बाज इलाकों में साँप की छतरी और बाज दूसरे इलाकों में कुकरमत्ता कहते हैं, याद रहे के बाज खुम्बियाँ जहरीली भी होती हैं, लिहाजा तहकीक के बाद इस्तेमाल की जाये।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
जोड़ों के दर्द का इलाज
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :
“अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”
(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”
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