हजरत अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) का अस्ल नाम आमिर बिन अब्दुल्लाह है। वह भी उन मुबारक हस्तियों में हैं जिन्हें रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही जन्नत की खुशखबरी दे दी थी। गज्व-ए-उहुद के दिन जब रसूलुल्लाह के चेहर-ए-मुबारक में खौद (लोहे की टोपी) की दो कड़ियां दाखिल हो गई थीं तो उसे अबू उबैदह ने अपने दांतों से पकड़ कर खींचा था जिसकी वजह से उन के सामने के दो दांत टूट गए थे।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन के बारे में फर्माया : “हर उम्मत के लिए एक अमीन (अमानतदार) होता है और मेरी उम्मत के अमीन अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) हैं।”
एक मर्तबा हज़रत उमर (र.अ) ने उनसे मुलाकात की तो देखा की ऊँट के कजावे की चादर पर लेटे हुए हैं और घोड़े को दाना खिलाने वाले थैले को तकिया बनाया है। हजरत उमर (र.अ) ने उन से फ़र्माया के आपने अपने साथियों की तरह मकान व सामान क्यों नहीं बना लिया, इस पर अबू उबैदह (र.अ) ने फ़र्माया: “कब्र तक पहुँचने के लिए यह सामान काफ़ी है।”
उनकी वफ़ात सन १८ हिजरी में मुल्के शाम में हुई।
पानी अल्लाह तआला की अजीम नेअमत है, जिस के बगैर कोई मख्लूक़ ज़िन्दा नहीं रह सकती। चुनान्चे अल्लाह तआला ने कहीं झील, दरिया, नदी की शक्ल में, तो कहीं समन्दर और मिट्टी की तह में पानी पैदा कर के काबिले इस्तेमाल बनाया, जिससे इन्सानी जिन्दगी बहाल रह सके, फिर इस अजीम नेअमत को बिल्कुल आम कर दिया,
अल्लाह की कुदरत पर कुर्बान जाइये! के दुनिया जबसे कायम हुई है उस वक्त से पानी इस्तेमाल होता आ रहा है और न जाने कब तक इस्तेमाल होता रहेगा, मगर उस की कुदरत के खजाने में कोई कमी नहीं आई।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
[ इब्ने माजा : २२४, अन अनस बिन मालिक (र.अ) ]
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुखसत फर्माते तो,
“उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक्त तक (उस का हाथ) न छोड़ते,जब तक के वह आपके हाथ को खूद न छोड़ दे।”
[ तिर्मिजी: ३४४२ ]
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
[ बुखारी : ६००६ ]
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
[ मुस्लिम १७२ ]
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मुआज़ (र.अ) को जब यमन भेजा तो फर्माया के
[ मुसनदे अहम: २१६१३]
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
हज़रत अबू हिंददारी (र.अ) कहते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बंद थाल में पेश किया गया, आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया :
[ तारीखे दिमश्क इब्ने असाकिर : २१:६०]
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
[ सूरह निसा ४:५८ ]
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Sir me yeh janna chahta hu ki is website pr pehle hindi me bahot hi achi urdu bhasa hua karti thi jisko badal kar shuddh sanskrit ki tarah hindi me kio kar diya gya pehle wali urdu bhasa achi thi oadne me dil lagta tha ise ohirse waise hi kro
Bhai aap shayad Roman Urdu ki baat kar rahe hai
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