अकबा, मिना के करीब एक घाटी का नाम है, जहाँ सन ११ नबवी में मदीना से 6 अफराद ने आकर दीने इस्लाम कबूल किया था, इस के दूसरे साल सन १२ नबवी में 12 अफ़राद रसूलुल्लाह (ﷺ) से मुलाकात करने और बैत होने के लिये आए और आप (ﷺ) के मुबारक हाथ पर चोरी, जिना और कल्ले औलाद से बचने, अच्छी बातों में आप (ﷺ) की इताअत व पैरवी करने और एक अल्लाह की इबादत करने पर बैत की। इस को “बैते अकबा-ए-ऊला” कहा जाता है।
जब उन लोगों ने वापसी का इरादा किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुसअब बिन उमेर को कुरआने मजीद पढाने, इस्लाम की तालीम देने और दीनी मसाइल बताने के लिये उन लोगों के साथ रवाना किया। मदीना पहुँच कर उन्होंने असअद बिन जुरारा के मकान पर कयाम किया।
वह लोगों को इस्लाम की दावत देते और मुसलमानों को नमाज़ भी पढ़ाते थे।उनको मदीना वाले “अलमुकरी” (पढ़ाने वाला उस्ताद) कहा करते थे, उन्हीं की दावत व तब्लीग से सअद बिन मआज और उसद बिन हुर जैसे सरदारों ने इस्लाम कबूल किया था।
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