बैतुलखला जाने का तरीका रसूलल्लाह (ﷺ) जब इस्तंजा के लिये तशरीफ ले जाते, तो चप्पल पहन लेते और सर को ढांप लेते। 📕 बैहकी फी सुनने कुबरा : ९६/१
दुआ कराने वाले की दुआ पर आमीन कहेना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जब कुछ लोग जमा हो और उनमें से कोई एक आदमी दुआ करे और दूसरे आमीन कहें तो अल्लाह तआला उनकी दुआ कबूल फरमाता है।" 📕 हाकिम : ५४७८
अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत एक आदमी ने अर्ज किया: "या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए। रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!" 📕 अबू दाऊद : ५२४
नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना हजरत अनस (र.अ) का बयान है के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे : तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो। 📕 अबू दावूद १५४१
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
बुराई से न रोकने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।" 📕 सूरह हूद: ११६ खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
दुआ के कलिमात को तीन बार कहना रसूलल्लाह (ﷺ) दुआ व इस्तिगफार के कलिमात को तीन तीन मर्तबा दोहराना पसन्द फ़र्माते थे। 📕 अबू दाऊद: १५२४ यह भी पढ़े: Astaghfar ka Taruf, Ahmiyat, Fazilat aur Dua
जिस्म के दर्द का इलाज हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो: ( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ ) “A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru” तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द…
अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे: तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ। 📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।" 📕 मुस्लिमः १७७
इस्मे आजम का वजीफा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया : तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है – “Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad” 📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)
गुनाहों से माफी की दुआ | रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन “अपने गुनाहों से माफी मांगने और अल्लाह तआला से रहम व करम तलब करने के लिए यह दुआ करनी चाहिए”– رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन तर्जमा: ऐ हमारे रब ! हम ने अपनी जानों पर बड़ा जुल्म किया (अब) अगर आप हमारी मगफिरत नहीं फर्माएंगे और रहम नहीं करेंगे तो हमारा बड़ा नुकसान हो जाएगा। 📕 सूरह आराफ़ : 23 वजाहत: यह हज़रत आदम व हव्वा (अ.स) की दुआ है, जो उन्होंने अपनी माफी के लिए अल्लाह तआला से की थी।
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो : "हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।" 📕 इब्ने माजा : ३८४२
किसी मुसलमान को हंसता देखे तो यह दुआ पढ़े रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : जब किसी मुसलमान को हँसता हुआ देखे तो यह दुआ पढ़े: तर्जमा: "अल्लाह आप को मुस्कुराता रखे।” 📕 बुखारी : ३२९४
MD. Salim Shaikh
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