हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)
Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.