हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)
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- बेहोशी से शिफ़ा पाना हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर…
- हज़रत जाबिर (र.अ) के बाग़ की खजूरो में बरकत हजरत जाबिर (र.अ) फरमाते हैं के मेरे वालिद जंगे उहुद में शहीद हो गए, लेकिन अपने पीछे इतना कर्जा छोड़ गए के मेरे बाग़ की खजूरों से वह कर्जा अदा होना मुश्किल था और इधर खजूर काटने का वक्त आ पहुँचा तो मैं आप (ﷺ) के पास आया और सारी…
- आख़िरत में काफिर की बदहाली रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।"
- जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ)…
- आबे जमजम के फवाइद हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना: "जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।"
- काफ़िर नाकाम होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला…
- ज़रूरत से ज़ाइद सामान शैतान के लिये रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया : "एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।"
- कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है? लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता…
- आँखों की बीनाई का लौट आना हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे…
- आमुल हुज़्न (ग़म का साल) रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का वक्त करीब आ गया। आप (ﷺ) ने फ़रमाया : ऐ चचा ! एक मर्तबा ” ला इलाहा इलल्लाह “ कह लो ताके…
- हज़रत ईसा (अ.स) को खुदा मानने का गुनाह क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "बिलाशुबा वह लोग भी काफिर हो गए जिन्होंने यूँ कहा के अल्लाह तआला तीन (खुदाओ) में से एक है, हालांके एक खुदा के अलावा कोई माबूद नहीं और अगर यह लोग इन बातों से बाज़ नहीं आएंगे, तो जो लोग उनमें से कुफ्र…
- बीमारी से बचने की तदबीरें हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के : "बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता…
- हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ) हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर…
- हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद…
- हज़रत सअद (र.अ) के हक में दुआ आप (ﷺ) ने हजरत सअद (र.अ) के हक में दुआ फरमायी : "ऐ अल्लाह ! सअद की दुआएँ क़बूल फर्मा।" (इस का असर यह हुआ के हजरत सअद (र.अ) जो दुआ माँगते थे वह कबूल हो जाती थी।)
- दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।" 📕 मुस्लिम : ७४१७ वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर…
- हज़रत ज़करिया (अ.स) हज़रत ज़करिया (अ.स) अल्लाह तआला के मुन्तखब करदा नबी और बनी इस्राईल के रहनुमा थे। उन्होंने हज़रत ईसा (अ.स) का ज़माना पाया था। तमाम अम्बियाए किराम का दस्तूर था वह अपने हाथ की कमाई से गुज़र बसर किया करते थे। हज़रत ज़करिया (अ.स) ने भी अपने गुज़ारे के लिए नज्जारी…
- हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस…
- जमात के मुतअल्लिक़ ख़बर देना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा से गुफ्तगू फ़रमा रहे थे, दौराने गुफ्तगू इर्शाद फ़रमाया : अभी तुम्हारे पास इस तरफ से मश्रिक वालों की एक बा अख़्लाक़ जमात आएगी, चुनान्चे हज़रत उमर (र.अ) खड़े हो कर उस तरफ चले, थोड़े ही दूर पहुँचे थे के सामने से तेरा अफराद…
- हजरत सालेह (अ.) की दावत और कौम का हाल हज़रत सालेह हजरत हूद के तकरीबन सौ साल बाद पैदा हुए। कुरआन में उन का तजकिरा ८ जगहों पर आया है। अल्लाह तआला ने उन्हें कौमे समूद की हिदायत व रहेनुमाई के लिये भेजा था। उस कौम को अपनी शान व शौकत, इज्जत व बड़ाई फक्र व गुरूर और शिर्क…