“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो,तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा हैऔर उसके ऊपर रहमान का अर्श हैऔर उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”
ईद के बाद शव्वाल के 6 रोजे की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जो शख्स रमजान के रोजों को रखने के बाद शव्वाल के छ: (६) रोजे भी रखे, तो वह पूरे साल के रोजे रखने के बराबर है। 📕 मुस्लिम : २७५८ फायदा: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन 6 रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया : “अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी: तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा। 📕 तबरानी कबीर: ११३८९
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है ۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:"औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।" फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है? तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :"मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।" 📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०
दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।" (यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए) 📕 कंजुल उम्माल : ४३७५८
माफ़ करने की सुन्नत अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।” 📕 मुस्लिम: ६०४५
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है) और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।" 📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५
कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।" 📕 मुस्लिम: 1093
अपने घर वालों को खिलाना पिलाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।" 📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७
पुरे यकींन से दुआ करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।” 📕 तिर्मिजी: ३४७९
मोहब्बत पाने का तरीका एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।” 📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे। 📕 बैहकी फी शोअबिल…
देवर तो मौत है | शौहर के भाइयों से परदे का हुक्म रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ना महरम) औरतों के पास आने जाने से बचो! एक अन्सारी सहाबी ने अर्ज किया : देवर के बारे में आप क्या फ़र्माते हैं ? तो आप (ﷺ) ने फर्माया: देवर तो मौत है।" 📕 बुखारी : ५२३२ वजाहत: शौहर के भाई वगैरह से परदा करना इन्तेहाई जरूरी है और उस से इस तरह बचना चाहिये। जिस तरह मौत से बचा जाता है।
MD. Salim Shaikh
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