जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
मोहब्बत पाने का तरीका एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।” 📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी। फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९) 📕 बुखारी : २९२०
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
कामयाब कौन है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़र्माया : “कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।” 📕 मुस्लिम: २४२६, अब्दुल्लाह बिन अम्र विन आस (र.अ)
आख़िरत में काफिर की बदहाली रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।" 📕 कंजुल उम्माल : ३८९२३
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है ۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:"औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।" फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है? तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :"मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।" 📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०
अहले ईमान और क़यामत का दिन ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।" 📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०
अपने घर वालों को खिलाना पिलाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।" 📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।" 📕 तिर्मिज़ी : १८५५
सज्दा करने का सुन्नत का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते। 📕 तिर्मिज़ी : २७०
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०