कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।" 📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है) और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।" 📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५
अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया Highlights • अल्लाह तआला की सृष्टि: अल्लाह ने सबसे पहले क़लम को पैदा किया और उसे पूरी काइनात की तक़दीर लिखने का हुक्म दिया। • तक़दीर की तहरीर: क़लम ने क़यामत तक होने वाली तमाम घटनाओं को अल्लाह के हुक्म से पहले ही लिख दिया। • अल्लाह की अजीम कुदरत: अल्लाह ने मख्लूक़ की तक़दीर को ज़मीन और आसमान की पैदाइश से 50,000 साल पहले तय किया। अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज़ को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी। कुरअने पाक में अल्लाह…
सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जिस ने सुबह (यानी फज़र) की नमाज़ अदा की, वह अल्लाह की हिफ़ाज़त में है।” 📕 मुस्लिम: १४९३
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।” 📕 तबरानी कबीर : १३१५३
अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत एक आदमी ने अर्ज किया: "या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए। रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!" 📕 अबू दाऊद : ५२४
अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा, वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा) उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।” 📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०
सिर दर्द से हिफाजत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "हम्माम (गुस्ल खाना) से निकलने के बाद कदमों को ठन्डे पानी से धोना सिर दर्द से हिफाजत का जरिया है।" 📕 कन्जुल उम्माल: २८२९६
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया - "यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।" 📕 मुस्लिमः१९२७
जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।” 📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)
सलाम करने पर नेकियाँ रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है, और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।" 📕 तबरानी कबीर : ५४२९
अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।” 📕 बुखारी : ६८५८
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।" 📕 तबरानी औसत : ११५११
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।" 📕 निसाई : १७८८