जानवर पर रहेम करने का सवाब अबी हुरैरह (र.अ) से रिवायत है के, पूछा गया : “या रसूलल्लाह ! क्या जानवरों पर रहम करने में भी हमारे लिए सवाब है? आप (ﷺ) ने फर्माया : हर जानदार जिगर रखने वाले हैवान पर (रहम करने में) सवाब है!” 📕 बुखारी, हदीस : ६००१
दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।" 📕 बैहकी शोअबुल ईमान: १०९०
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है। ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।" 📕 बुखारी : १४४२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है, जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।" 📕 मुस्लिम : २३११
मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।" 📕 अबू दाऊद: ४२७०
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं। और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।" 📕 तिर्मिज़ी : २५१२
पुरे यकींन से दुआ करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।” 📕 तिर्मिजी: ३४७९
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।” 📕 तबरानी कबीर : १३१५३
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।" वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है। 📕 सूरह तग़ाबुन : १४
तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।” 📕 सूरह मोमिन : ३५
दिखावे के काम करने वाले का अंजाम दिखावे के काम करने वाले का अंजाम नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया: ❝ जो लोगों को दिखलाने और शोहरत के लिए (खैर के) काम करेगा तो अल्लाह सुब्हानहु क़यामत के दिन उसकी रियाकारी का हाल लोगों को सुना देगा। ❞ 📕 सही बुखारी, हदीस 7152
मुनाफ़िक की निशानियाँ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “मुनाफ़िक की तीन निशानियाँ हैं: जब बात करे तो झूट बोले, वादा करे तो पूरा न करे, जब कोई अमानत रखी जाए तो उस में खयानत करे।” 📕 बुखारी : ३३, मुस्लिम: २११
नेक और अच्छे काम न करने की कसमें मत खाओ ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ “नेकी और परहेज़गारी इख्तियार करने और लोगों के दर्मियान सुलह कराने में अल्लाह को अपनी कस्मों में आड मत बनाया करो। (यानी नेक और अच्छे काम न करने की कसम मत खाओ) बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है।” 📕 सूरह बकराह २४२
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के, "लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?" आप (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़", और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया। तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।" 📕 तिर्मिज़ी : २००४, अन अबी हुरैरा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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