हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के :
“बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करोक्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।”
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।” 📕 इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ)
बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े: “Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon” तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा। 📕 सूरह शुअरा : १६९
पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो हदीस: अब्दुल्ला इब्न अब्बास (र.) से रिवायत है के,अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फरमाया: “पांच (5) चीज़ों को पांच (5) चीज़ों से पहले घनीमत समझो। (1). अपनी जवानी को बुढ़ापे से पहले,(2). अपनी सेहत को बीमारी से पहले,(3). अपनी मालदारी को गुरबत (गरीबी) से पहले,(4). अपनी फरागत को मसरुफियत से पहले,(5). अपनी जिंदगी को मौत से पहले। 📕 शुआब अल-ईमान, हदीस 9575
गुनाहों से बचने की दुआ गुनाहों से बचने की दुआ गुनाहों से बचने के लिए यह दुआ पढ़े: “ऐ अल्लाह ! जबतक मैं जिंदा रहूँ मुझे गुनाहों से बचने की तौफीक अता फर्मा।” 📕 तिर्मिज़ी : ३५७०, इब्ने अब्बास (र.अ)
दुआए जिब्रईल से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए, तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया: [ " اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) " ] तर्जुमा: "अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।" 📕 मुस्लिम: ५६९९
गाय के दूध में शिफा है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।” 📕 मुस्तदरक : ८२२४
गुर्दे की बीमारियों का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया - "पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि० फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे : اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ ( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa ) तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु। 📕 तिर्मिज़ी : ३५९१
हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद नहीं होती है। जब फरिश्तों ने उन की पैदाइश की खुशखबरी दी, तो दोनों हैरत व तअज्जुब में पड़ गए। मगर फरिश्तों ने यकीन दिलाया और कहा : आप नाउम्मीद मत हों। चुनान्चे अल्लाह तआला के हुक्म से इस्हाक़ पैदा हुए। उसी साल हजरत इब्राहीम व इस्माईल ने बैतुल्लाह की…
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
बीमारी की शिकायत न करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।" 📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ) खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से…
बिमारियों का इलाज हज़रत अनस (र.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा: ऐ अबू हम्जा (यह हजरत अनस (र.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ है, यानी मैं बीमार हूँ, तो हजरत अनस (र.अ) ने फ़रमाया: क्या मैं ! तुम को उस दुआ से दम न कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा :जी हाँ जरूर , तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी: तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता…
अल्लाह को छोड़ कीसी को ना पुकारना ... ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ “और अल्लाह को छोड़ ऐसी चीज़ को ना पुकारना जो ना तुम्हे नफा पहुँचा सकती हैं ना ही नुक़सान।" 📕 सूरह युनुस 10:106 Read More: Nazar ki Dua : नज़रे बद कि दुआ | बुरी नज़र से बचने और नज़र दूर करने की दुआएँ Allah kisi Shakhs ko uski Taqat se Zyada nahi Aazmata …
MD. Salim Shaikh
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