“एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च कियाऔर एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च कियाऔर एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका कियाऔर एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया
तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है,जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।”
बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।” 📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)
मुसाफा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।" 📕 तिरमिजी : २७२७, अन बरा बिन आजिब (र.अ)
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं। और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।" 📕 तिर्मिज़ी : २५१२
कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।" 📕 मुस्लिम: 1093
घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।" 📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ) एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया – “फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।” 📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने…
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।" 📕 तबरानी औसत : ११५११
खाने के बाद शुक्र अदा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “खाना खा कर जो (अल्लाह का) शुक्र अदा करता है, वह रोजा रख कर सब्र करने वालों के बराबर है।” 📕 मुस्तदरक, हदीस १५३७
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।" 📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
सुभानअल्लाह और ला इलाहा इलल्लाह की फ़ज़ीलत | तस्बीह, तहलील और तक्दिस ✦ मफ़हूम-ऐ-हदिस ✦ युसरा रजीअल्लाहु अन्हा फरमाती है के, नबी-ऐ-करीम (ﷺ) ने हम से फ़रमाया: "तुम लोग तस्बीह (सुभानअल्लाह) , तहलील (ला इलाहा इलल्लाह) और तक्दिस (सुभानल मलिकिल कुद्दुस या सुबहू कुद्दुस, रब्बना व ल मलाईकतु वा रुहु ) पढ़ते रहा करो।" और इनको उंगलियों के पोरों (Finger Tips) पर शुमार करो। इस लिए की क़यामत के दिन इस (उंगलियों) से सवाल किया जायेगा और वो बोलेगी, फिर गाफिल न हो जाना क्यूंकि इस से तुम असबाब-ऐ-रहमत भूल जाओगे।" 📕 जामिया तिरमिज़ी , 1506-हसन Subhan'Allah aur La ilaha illallah Ki Fazilat - Tasbeeh, Tahleel aur Taqdis Padhte Raha karo.
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७
जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।” 📕 सूरह मुनाफिकून: १०
अज़ान देने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।" 📕 इब्ने माजा : ७२८
अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ ( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin ) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं। 📕 सूरह आराफ: १५५ ( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin ) तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है। 📕 सूरह मोमिनून : १09
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