Last Messenger of God in “Bhawishya Puran”
इस पोस्ट में हम आपकी सेवा में कुछ ऐसे प्रमाण पेश कर रहे हैं जिन से सिद्ध होता है कि “कल्कि अवतार” अथवा “नराशंस” जिनके सम्बन्ध में वैदिक धार्मिक ग्रन्थों ने भविष्यवाणी की है वह मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ही हैं। क्योंकि कुछ स्थानों पर स्पष्ट रूप में “मुहम्मद” और “अहमद” का वर्णन भी आया है।
1. देखिए भविष्य पुराण (323:5:8)
“एक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आएगा उनका नाम महामद होगा। वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आएगा।”
2. श्रीमदभग्वत पुराण:
उसी प्रकार श्रीमदभग्वत पुराण (72-2) में शब्द “मुहम्मद” इस प्रकार आया है:
“अज्ञान हेतु कृतमोहमदान्धकार नाशं विधायं हित हो दयते विवेक”
• अर्थात: “मुहम्मद के द्वारा अंधकार दूर होगा और ज्ञान तथा आध्यात्मिकता का प्रचनल होगा।”
3. यजुर्वेद (18-31) में है:
“वेदाहमेत पुरुष महान्तमादित्तयवर्ण तमसः प्रस्तावयनाय”
• अर्थात: “वे अहमद महान व्यक्ति हैं, सुर्य के समान अंधेरे को समाप्त करने वाले, उन्हीं को जान कर प्रलोक में सफल हुआ जा सकता है। उसके अतिरिक्त सफलता तक पहूँचने का कोई दूसरा मार्ग नहीं।”
4. इति अल्लोपनिषद में अल्लाह और मुहम्मद का वर्णन
आदल्ला बूक मेककम्। अल्लबूक निखादकम् ।। 4 ।। अलो यज्ञेन हुत हुत्वा अल्ला सूय्र्य चन्द्र सर्वनक्षत्राः ।। 5 ।। अल्लो ऋषीणां सर्व दिव्यां इन्द्राय पूर्व माया परमन्तरिक्षा ।। 6 ।। अल्लः पृथिव्या अन्तरिक्ष्ज्ञं विश्वरूपम् ।। 7 ।। इल्लांकबर इल्लांकबर इल्लां इल्लल्लेति इल्लल्लाः ।। 8 ।। ओम् अल्ला इल्लल्ला अनादि स्वरूपाय अथर्वण श्यामा हुद्दी जनान पशून सिद्धांतजलवरान् अदृष्टं कुरु कुरु फट ।। 9 ।। असुरसंहारिणी हृं द्दीं अल्लो रसूल महमदरकबरस्य अल्लो अल्लाम्इल्लल्लेति इल्लल्ला ।। 10 ।। इति अल्लोपनिषद
• अर्थात: ‘‘अल्लाह ने सब ऋषि भेजे और चंद्रमा, सूर्य एवं तारों को पैदा किया। उसी ने सारे ऋषि भेजे और आकाश को पैदा किया। अल्लाह ने ब्रह्माण्ड (ज़मीन और आकाश) को बनाया। अल्लाह श्रेष्ठ है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वह सारे विश्व का पालनहार है। वह तमाम बुराइयों और मुसीबतों को दूर करने वाला है। मुहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेष्टा) हैं, जो इस संसार का पालनहार है। अतः घोषणा करो कि अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं।’’
इस श्लोक का वर्णन करने के पश्चात डा0 एम. श्रीवास्तव अपनी पुस्तक “हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) और भारतीय धर्मग्रन्थ” मे लिखते हैं:
(बहुत थोड़े से विद्वान, जिनका संबंध विशेष रूप से आर्यसमाज से बताया जाता है, अल्लोपनिषद् की गणना उपनिषदों में नहीं करते और इस प्रकार इसका इनकार करते हैं, हालांकि उनके तर्कों में दम नहीं है। इस कारण से भी वैदिक धर्म के अधिकतर विद्वान और मनीषी अपवादियों के आग्रह पर ध्यान नहीं देते। गीता प्रेस (गोरखपुर) का नाम वैदिक धर्म के प्रमाणिक प्रकाशन केंद्र के रूप में अग्रगण्य है। यहां से प्रकाशित ‘‘कल्याण’’ (हिन्दी पत्रिका) के अंक अत्यंत प्रामाणिक माने जाते हैं। इसकी विशेष प्रस्तुति ‘‘उपनिषद अंक’’ में 220 उपनिषदों की सूची दी गई है, जिसमें अल्लोपनिषद् का उल्लेख 15वें नंबर पर किया गया है। 14वें नंबर पर अमत बिन्दूपनिषद् और 16वें नंबर पर अवधूतोपनिषद् (पद्य) उल्लिखित है। डा.वेद प्रकाश उपाध्याय ने भी अल्लोपनिषद को प्रामाणिक उपनिषद् माना है।
- (‘देखिए: वैदिक साहित्य: एक विवेचन, प्रदीप प्रकाशन, पृ. 101, संस्करण 1989।)
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