एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई।
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे। 📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)
फिजूलखर्ची मत किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।" 📕 सूरह आराफ़: ३१
नमाज के लिये मस्जिद जाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।" 📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)
हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद नहीं होती है। जब फरिश्तों ने उन की पैदाइश की खुशखबरी दी, तो दोनों हैरत व तअज्जुब में पड़ गए। मगर फरिश्तों ने यकीन दिलाया और कहा : आप नाउम्मीद मत हों। चुनान्चे अल्लाह तआला के हुक्म से इस्हाक़ पैदा हुए। उसी साल हजरत इब्राहीम व इस्माईल ने बैतुल्लाह की…
शिर्क करने वाले की मिसाल कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।" 📕 सूरह हज: ३१
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
हजरत कतादा (र.अ) की आँख का ठीक हो जाना जंगे बद्र के दिन हज़रत कतादा बिन नोअमान (र.अ) की आँख में तीर लग गया, जिस की वजह से खून रुखसार पर बहने लगा, तो सहाबा (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा : क्या उन की आँख निकाल दें? तो आप (ﷺ) ने मना फ़रमाया : और हजरत कतादा को बूलाकर अपनी हथेली से उन की आँख की तरफ़ इशारा किया, तो वह इतनी अच्छी हो गई के पता नहीं चलता था के कौन सी आँख में तीर लगा था। 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुयुष्या : १११२
वसीयत जरूर लिखे रसूलल्लाह (सलाल्लाहू अलैही वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया: "किसी मुसलमान के पास कोई भी चीज़ हो (यानी किसी का लेना-देना या उस के ज़िम्मे माली हुकूक हों) जिस की वसीयत करना हो तो उसके लिए यह बात ठीक नहीं है कि दो रातें गुज़र जाएं और उसकी वसीयत उसके पास लिखी हुयी न हो।" 📕 सहीह बुखारी
छींक आए तो मुंह पर कपड़ा या हाथ रख ले रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब छींक आती, तो आवाज को आहिस्ता करते और चेहर-ए-मुबारक कपड़े से, या हाथ से ढांक लेते। 📕 तिर्मिज़ी: २७४५
कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है? लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था। एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस…
हाथ से ख़ुश्बू निकलना ۞ हदीस: हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) फर्माती हैं के, जिस दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) की वफात हुई, उस दिन मैंने हुजूर (ﷺ) के सीन-ए-मुबारक पर हाथ रखा था, उस के बाद एक जमाना गुजर गया, मैं उस हाथ से खाती रही और उस को धोती रही, लेकिन मेरे उस हाथ से मुश्क की खुश्बू ख़त्म नहीं हुई। 📕 बैहकी की दलाइलिन्नुबुव्वह : ३१५१
हज़रत जाबिर (र.अ) के बाग़ की खजूरो में बरकत हजरत जाबिर (र.अ) फरमाते हैं के मेरे वालिद जंगे उहुद में शहीद हो गए, लेकिन अपने पीछे इतना कर्जा छोड़ गए के मेरे बाग़ की खजूरों से वह कर्जा अदा होना मुश्किल था और इधर खजूर काटने का वक्त आ पहुँचा तो मैं आप (ﷺ) के पास आया और सारी हालत आप (ﷺ) के सामने रखी, तो आपने फर्माया : अच्छा जाओ और खजूर काट कर अलग अलग ढेर कर लो, मैं गया और ऐसा ही किया, फिर हजूर (ﷺ) आए और सब से बड़े ढेर का तीन बार चक्कर लगाया और फिर उस के पास बैठ गए और फर्माया…
वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।" 📕 सूरह अहकाफ:१५ फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।
अहले जन्नत की नेअमतें: परहेज़गारों के लिये अच्छा ठिकाना है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।" 📕 सूरह साद: ४९ ता ५२
नींद अल्लाह की अज़ीम नेअमत Highlights • नींद की नेअमत: अल्लाह ने इंसान को नींद की अज़ीम नेअमत से नवाजा, जिसमें वह अपनी आसपास की दुनिया से बेखबर हो जाता है।• शुऊर का खो जाना: नींद के दौरान इंसान की चेतना और समझ पूरी तरह समाप्त हो जाती है।• जैसे मौत की स्थिति: नींद एक प्रकार की मौत की तरह होती है, लेकिन फिर जीती जागती जिंदगी वापस मिलती है।• अल्लाह का करिश्मा: नींद के बाद जीवन का फिर से शुरू होना केवल अल्लाह की कुदरत से संभव है।• अल्लाह की कुदरत: नींद देना और फिर से जीवन देना अल्लाह की अद्भुत कारीगरी का हिस्सा…
MD. Salim Shaikh
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