उमैर बिन वहब और सफवान बिन उमय्या खान-ए-काबा में बैठ कर बद्र के मकतूलीन पर रो रहे थे, बिलआखिर उन दोनों में पोशीदा तौर पर यह साजिश करार पाई के उमैर मदीना जा कर आप (ﷺ) को धोके से क़त्ल कर आए। लिहाज़ा उमैर उठ कर घर आया और तलवार को जहर में बुझा कर मदीना को चल खड़ा हुआ और मदीना पहुँचा।
आप (ﷺ) ने पूछा : उमैर यहाँ किस इरादे से आए हो? उस ने कहा के उस कैदी को छुड़ाने आया हूँ।
आप (ﷺ) ने फ़र्माया : क्या तुम दोनों ने खान-ए-काबा में बैठ कर मेरे क़त्ल की साजिश नहीं की है? उमैर यह राज की बात सुन कर सक्ते में पड़ गया और बे इख्तियार बोल उठा के मुहम्मद (ﷺ) ! बेशक आप खुदा के पैग़म्बर हैं खुदा की कसम! मेरे और सफवान के अलावा किसी तीसरे को इस मामले की खबर न थी फिर उमैर ने कलिमा पढ़ा और आपने उन के कैदी को छोड दिया।
बेहोशी से शिफ़ा पाना बेहोशी से शिफ़ा पाना हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के - "एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।" 📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)
किला फतह होना जंगे खैबर के दिन चन्द आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आ कर भूक की शिकायत करने लगे और रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल करने लगे, लेकिन हुजूर (ﷺ) के पास कोई चीज़ न थी, तो आप ने अल्लाह तआला से दुआ की : या अल्लाह ! तू इन की हालत से वाकिफ है, इन के पास खाने के लिये ही कुछ भी नहीं और न ही मेरे पास है के मैं इन को दूँ, या अल्लाह ! तू इन के लिये खैबर का ऐसा किला फतह करदे जो सब किलों में माल व दौलत के एतेबार से जियादा फरावानी रखता हो,…
दरख्त का नबी (ﷺ) की गवाही देना हजरत इब्ने उमर (र.अ) फर्माते हैं के हम एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर में थे के - एक देहाती आप (ﷺ) की खिदमत में आया, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया : तुम गवाही दो, इस बात की के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और उस का कोई शरीक नही और मुहम्मद उस के बन्दे और रसूल हैं, तो वह कहने लगा, तुम्हारी इस बात पर गवाह कौन है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: यह सलम का दरख्त, वह दरख्त मैदान के किनारे पर था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को बुलाया, तो वह जमीन को चीरता हुआ आप…
थोड़ी सी खजूर में बरकत हज़रत नोमान बिन बशीर (अ.स) की बहन बयान करती हैं के, खन्दक की खुदाई के मौक़े पर मेरी वालिदा अमरा बिन्ते रवाहा ने मुझे बुलाया और मेरे दामन में एक लब (दोनों हथेली) भर कर खजूर दी और फ़रमाया “यह अपने वालिद और मामू अब्दुल्लाह बिन रवाहा को दे आओ, चुनान्चे मैं चली, वहाँ पहुँच कर अपने वालिद और मामू को तलाश करने लगी, इतने में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे देख लिया, तो फ़रमाया ऐ बेटी इधर आओ ! मैं आप (ﷺ) के पास पहुँची, तो आप ने पूछा यह क्या है? मैंने कहा यह थोड़ी सी खजूर है मेरी…
बकरी का दूध देना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो? मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी। आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में…
हजरत कतादा (र.अ) की आँख का ठीक हो जाना जंगे बद्र के दिन हज़रत कतादा बिन नोअमान (र.अ) की आँख में तीर लग गया, जिस की वजह से खून रुखसार पर बहने लगा, तो सहाबा (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा : क्या उन की आँख निकाल दें? तो आप (ﷺ) ने मना फ़रमाया : और हजरत कतादा को बूलाकर अपनी हथेली से उन की आँख की तरफ़ इशारा किया, तो वह इतनी अच्छी हो गई के पता नहीं चलता था के कौन सी आँख में तीर लगा था। 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुयुष्या : १११२
कंधे का अच्छा हो जाना एक गज़वे में हजरत खुबैब बिन यसाफ़ (र.अ) को कंधे और गर्दन के बीच में तलवार लगी, जिस की वजह से वह हिस्सा लटक पड़ा, वह आप के पास आए तो हुजूर (ﷺ) ने उस हिस्से पर अपना लुआबे मुबारक (थूक) लगाया और फिर उस को जोड़ा, तो वह चिपक कर ठीक हो गया। 📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नाव्या : २४२५
हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे। हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए। उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो…
कब्र के बारे में ख़बर देना हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था। मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया। और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की…
हुजूर (ﷺ) के हाथों की बरकत हज़रत आइज़ बिन अम्र (र.अ) को जंगे हुनैन में दौराने जंग चेहरे पर एक चोट लगी, जिस की वजह से चेहरा, दाढ़ी और सीना खून आलूद हो गया, तो हुजूर (ﷺ) ने अपने हाथ से उस को साफ किया और उन के हक में दुआ फ़रमाई। रावी फ़र्माते हैं के हज़रत आइज़ (र.अ) ने अपनी ज़िन्दगी में यह वाकिआ बहुत मर्तबा सुनाया, चुनान्चे जब आप की वफात हुई तो गुस्ल देते हुए हम ने वह जगह (जिस पर खून साफ करते वक़्त हुजूर (ﷺ) का हाथ मुबारक लगा था) बिल्कुल सफेद और चमकदार पाई। 📕 तबरानी कबीर : १४४६०
हज़रत साबित (र.अ) के लिये पेशीनगोई हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा आप (ﷺ) ने हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) से फरमाया था: "क्या तुम इस पर राजी नहीं के एक अच्छी जिन्दगी बसर करो और शहीद की मौत मरोऔर फिर जन्नत में दाखिल हो जाओ? तो हजरत साबित ने फरमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) हाँ क्यों नहीं। चुनान्चे हज़रत साबित (र.अ) ने अच्छी जिन्दगी बसर कीऔर फिर अल्लाह की राह में शहीद हो गए।" 📕 मुअजमे कबीर लित तबरानी : १२९६
ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं। आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह…
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
पहाड़ का हिलना | हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा “रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा उहुद पहाड़ पर चढ़े, आप के साथ हज़रत अबू बक्र (र.अ), हज़रत उमर (र.अ) और हज़रत उस्मान (र.अ) भी थे, वह पहाड़ हिलने लगा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पहाड़ पर अपना पाँव मार कर फर्माया: उहुद ठहर जा तुझ पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शहीद हैं। (तो वह ठहर गया)” 📕 बुखारी : ६३७५, अन अनस (र.अ)
आँखों की बीनाई का लौट आना हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी…
MD. Salim Shaikh
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