“क्या तुम में से कोई यह नहीं कर सकता के एक रात में तिहाई कुरआन पढ़ ले ?” सहाब-ए-किराम ने अर्ज किया: भला कोई कैसे तिहाई कुरआन पढ़ लेगा? आपने फर्माया: – सूरह इखलास तिहाई कुरआन के बराबर है।”
जहन्नम के दरवाजे का फासला रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जहन्नम के सात दरवाजे हैं, हर दो दरवाजों के दर्मियान का फासला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है।" 📕 मुस्तदरक : ८६८३
गुनाहों की मगफिरत का वजीफा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "ज़मीन पर जो शख्स भी "La ilaha illallah, Wallahu Akbar, La Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem" पढ़ता है, तो उस के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं ख्वाह समन्दर के झाग के बराबर हों।" 📕 तिर्मिज़ी : ३४६०
हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।" 📕 सूरह अहज़ाब : ४० वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।
नेक बंदों की नेअमतों का बयान कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "परहेज़गार लोग बागों और ऐश व राहत में होंगे। उन को जो चीजें ऐश व आराम की उन के रब ने अता की होगी उस को खा रहे होंगे और उन का रब उन को दोज़ख के अज़ाब से महफूज रखेगा, (और कहा जाएगा) तुम खूब मज़े के साथ खाओ पियो (यह) तुम्हारे नेक आमाल के बदले में है, जो तुम (दुनिया) में किया करते थे (और वह लोग) बराबर बिछे हुए तख्तों पर तकिये लगाए हुए होंगे और हम बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरों से उनका निकाह कर देंगे।" 📕 सूरह तूर :…
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
कंगारु में अल्लाह की क़ुदरत कंगारु, खरगोश की हम शक्ल एक बड़ा जानवर है जो इन्सानी कद के बराबर होता है। उसके अगले पैर बहुत छोटे और पिछले पैर बहुत बड़े और मजबूत होते हैं, इस की दूम भी काफ़ी लंबी और मोटी होती है, यह अपनी दुम पर बैठ जाता है। अजीब बात यह है के इस के पेट पर एक थैली होती है, कंगारु का बच्चा पैदाइश के वक्त सिर्फ दो इंच का होता है जिस की आँख भी बंद रहती है। इसके बावजूद वह अपनी माँ के जिस्म के बालों को पकड़ कर सीधा उस थैली में पहुँच जाता है और वहा…
कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया - "अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।" 📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)
बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब झूठी तोहमत लगाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।” 📕 सूरह अहज़ाब : ५८ झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।" 📕 अबू दाऊद: ३५९७
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है? हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)। 📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।” 📕 इब्ने माजा : २२४७
सूरह बक़रह से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अपने घरों में सूरह बक्ररह पढ़ो, इस लिये के शयातीन व आसेब उस घर में दाखिल नहीं होते जिस घर में सूरह बक़रह पढ़ी जाती है।" 📕 मुस्तदरक : २०६२
हौजे कौसर की कैफियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।” 📕 इब्ने माजा: ४३०३
दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनिया की ज़िन्दगी खेलकूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिन्दगी ही हकीकी जिन्दगी है, काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।" 📕 सूरह अनकबूत : ६४ कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता: “यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी…
MD. Salim Shaikh
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