अल्लाह तआला ने सूरज बनाया, जिसे हम आग का एक दहेकता हुआ गोला समझते हैं, जिस से हमें रोशनी और गर्मी हासिल होती है यह हज़ारों साल से इसी तरह दहेक रहा है, रोज़ाना पूरब से निकलता और पच्छिम में जा कर छुप जाता है।
अब हम गौर करें के इस दहेकते हुए सुरज को ईंधन कौन देता है? कौन है जो इस के लिए पेट्रोल या गैस या लकड़ी का इंतेज़ाम करता है? जिस से वह हज़ारों साल से इसी तरह दहेक रहा है,
और फिर इतना ज़्यादा इंधन कहां से आ रहा है, जिस के जलने से सारी दुनिया को रोशनी और गर्मी मिल रही है? और कौन है, जो एक मुकर्ररह वक्त पर इस को हमारे लिए निकालता है और एक मुकर्ररह वक्त पर छुपा देता है ?
यक़ीनन वह ज़ात अल्लाह की है, जिस ने हम को और हर चीज़ को पैदा किया।
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